ला नीना के आने में देरी क्यों हुई है, इसका पता लगाने के लिए अमेरिकी मौसम एजेंसी क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (CPC) अब अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है. उनके साथ मिलकर एजेंसी अब पता लगाएगी कि ला नीना में देरी क्यों हुई है. अल नीनो सदर्न ऑस्किलेशन (एन्सो) पर चर्चा करते हुए कहा गया है कि एन्सो-निष्क्रिय की स्थिति फिलहाल अगले कुछ महीनों तक जारी रहेगी. साथ ही कहा गया की अगस्त से अक्टूबर के बीच ला नीना के सक्रिय होने की 70 फीसदी संभावना है. इसके बाद यह इस साल की सर्दियों के दौरान नवंबर से जनवरी के बीच उत्तरी गोलार्ध में स्थिर हो जाएगा.
शुरुआती दौर में ला नीना को लेकर अपने पूर्वानुमान में क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने अनुमान लगाया था कि यह जुलाई में सक्रिय होगा जिससे मौसम में बदलाव होगा और अधिक बारिश होगी. इसके कारण एशिया खास कर भारत में अधिक बारिश होगी और बाढ़ की घटनाएं होगी. हालांकि पिछले महीने क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने इसकी संभावना को 69 फीसदी से घटाकर 65 फीसदी कर दिया है. पिछले महीने क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर की भविष्यवाणी में ला नीना की संभवानाओं को कमजोर होने की भविष्यवाणी की गई थी और कहा गया था कि यह उत्तरी गोलार्द्ध में जाकर स्थिर हो जाएगा.
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हालांकि मौसम पूर्वानुमान एजेंसी जो अमेरिकी राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन का एक अंग है, ने कहा कि एजेंसी की फोरकास्ट टीम बता रही है कि इस महीने ला नीना के एक्टिव होने में देरी हुई है. पर एजेंसी को यह उम्मीद है कि यह जल्द ही अगस्त से अक्टूबर के बीच सक्रिय हो जाएगा. क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने कहा कि यह समुद्र के उपसतह तापमान के औसत से नीचे बने रहने के कारण ऐसा हुआ है. सीपीसी ने आगे कहा कि कोलंबिया क्लाइमेट स्कूल इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट एंड सोसाइटी का सबसे हालिया अपडेट में ला नीना के सक्रिय होने में देरी का अनुमान दिखाई दे रहा है. यह सितंबर के नवंबर 2024 के बीच सक्रिय हो सकता है.
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ऑस्ट्रेलिया ब्यूरो ऑफ मेटरोलॉजी ने कहा है कि ला नीना अगस्त में सक्रिय होगा. इसने कहा कि जलवायु परिवर्तन मॉडल के तहत मिलने वाले सुझावों से यह पता चलता है कि मध्य प्रशांत महासागर के सतही तापमान को कम होने में कम से कम दो महीने का समय लगेगा. वहीं सात में से चार मॉडल ने यह सुझाव दिया है कि समुद्री सतह का तापमान एन्सो निष्क्रिय स्थिति में रह सकता है. जबकि बाकी तीन मॉडल ने सुझाव दिया है कि समुद्री सतह का तापमान ला नीना के स्तर (-8 डिग्री सेल्सियस से कम) तक पहुंच सकता है. कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने अपने अनुमान में कहा कि पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत में तापमान कम रह सकता है जो अल नीना के विकसित होने का संकेत देता है.
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