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धान के मोथा को जड़ से खत्म करती हैं ये 5 दवाएं, किसान किसी भी एक का कर सकते हैं प्रयोग

धान के मोथा को जड़ से खत्म करती हैं ये 5 दवाएं, किसान किसी भी एक का कर सकते हैं प्रयोग

धान की फसम में खरपतवार बहुत बड़े दुश्मन होते हैं. ये फसल को पूरी तरह से चौपट कर देते हैं. ऐसा ही एक खरपतवार है मोथा. इसके लगने पर किसनों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. आइए जानते हैं किसान कैसे अपनी धान की फसल को मोथा से बचा सकते हैं.

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धान में लगने वाले खरपतवार धान में लगने वाले खरपतवार

देश के ज्यादातर राज्यों में धान की रोपाई हो चुकी है. धान खरीफ की प्रमुख फसल भी है. वहीं, धान की फसल में मोथा एक बहुत बड़ी समस्या है. यह धान में लगने वाली खतरनाक खरपतवार है. यदि समय पर इसका नियंत्रण नहीं किया जाए तो फसलों को काफी नुकसान होता है. धान उत्पादन में होने वाली कुल क्षति का 33 फीसदी नुकसान खरपतवार से होता है. जो कीट व्याधि से होने वाली कुल नुकसान से कहीं ज्यादा है. वहीं, कभी-कभी यह नुकसान काफी अधिक भी हो जाता है. इसलिए सही समय पर इसका नियंत्रण करना बहुत जरूरी है. ऐसे में धान के मोथा को जड़ से खत्म करने के लिए किसान इस खबर में बताए इन 5 दवाओं में से एक का प्रयोग कर सकते हैं.  

धान के प्रमुख खरपतवार

धान की फसल में कई प्रकार के खरपतवार उग जाते हैं. ये खरपतवार धान के उत्पादन पर असर डालते हैं. इसमें प्रमुख खरपतवार, मोथा, मकरा, कोदो, बनरा कनकवा, भगरा, बड़ी दुद्धी, जंगली धान और दूब आदि हैं. वहीं, जलीय क्षेत्रों में कर्मी और जलकुंभी अधिक उगते हैं. इन सभी खरपतवार के नियंत्रण के लिए धान की फसल को दो निकाई की आवश्यकता पड़ती है. पहली निकाई रोपाई के 20-25 दिन बाद और दूसरी 40-45 दिन बाद करके खरपतवारों का नियंत्रण किया जा सकता है.

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इन दवाओं का करें प्रयोग

1. पेंडी मिथलीन 30 फीसदी EC: यह खरपतवारनाशी प्रीइमरजेन्स (खरपतवार उगने के पहले) प्रकृति का है. इसको 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 3-5 दिनों के अंदर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

2. ब्यूटाक्लोर 50 फीसदी EC: रोपनी के 2-3 दिनों के अंदर ब्यूटाक्लोर 2.5 की मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा 50-60 किलो सूखे बालू में मिलाकर भुरकाव किया जा सकता है. बशर्ते कि खेत में हल्का पानी लगा रहना चाहिए.

3. प्रेटिलाक्लोर 50 फीसदी EC: रोपनी के 2-3 दिनों के अंदर प्रेटिलाक्लोर 1.5 लीटर की मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

4. ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5 फीसदी EC: 500 मिली प्रति हेक्टेयर के दर से छिड़काव किया जा सकता है. पैडी ट्रांसप्लांटर और जीरो टिलेज या सीड ड्रिल विधि में सीधी बुवाई के 3 से 5 दिनों के अंदर फसलों पर छिड़कना चाहिए.

5. पाइरेजोसल्फ रान ईथाइल 10 फीसदी WP: इस खरपतवारनाशी का 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से रोपनी के 8 से 10 दिनों के अंदर 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. साथ ही 50-60 किलो सूखे बालू में मिलाकर भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.