जालना-नांदेड समृद्धि महामार्ग से प्रभावित किसानों का अनोखा आंदोलन, सूखे कुएं में बैठकर जताया विरोध

जालना-नांदेड समृद्धि महामार्ग से प्रभावित किसानों का अनोखा आंदोलन, सूखे कुएं में बैठकर जताया विरोध

यह महामार्ग जालना जिले के जालना, परतूर और मंठा तालुकों से होकर गुजर रहा है. इस हाईवे प्रोजेक्ट के चलते जालना तालुका के 19 गांव प्रभावित हो रहे हैं. इसे देखते हुए प्रभावित किसान अपनी जमीनों के लिए उचित मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

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जालना-नांदेड समृद्धि महामार्ग से प्रभावित किसानों का अनोखा आंदोलन, सूखे कुएं में बैठकर जताया विरोधजालना के किसानों का आंदोलन

महाराष्ट्र में जालना-नांदेड समृद्धि महामार्ग से प्रभावित किसानों ने सोमवार को एक अनोखा और आक्रोशपूर्ण आंदोलन किया है. जालना के देवमूर्ती गांव में किसानों ने सूखे कुएं में उतरकर धरना दिया और अपनी मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की. किसानों की मांग है कि समृद्धि महामार्ग के लिए जिनकी जमीनें गई हैं, उन्हें उचित मुआवज़ा दिया जाए. इस मांग को लेकर देवमूर्ती गांव में किसानों का पिछले 66 दिनों से लगातार धरना आंदोलन चल रहा है. लेकिन अब तक राज्य सरकार ने किसानों के इस आंदोलन पर कोई ध्यान नहीं दिया है. सरकार की उदासीनता से नाराज होकर किसानों ने सूखे कुएं में उतर के और कुएं में बैठकर अनोखा आंदोलन किया. इस आंदोलन के माध्यम से उन्होंने एक बार फिर से सरकार से उचित मुआवज़ा देने की मांग दोहराई है.

जालना-नांदेड समृद्धि महामार्ग एक लिंक रोड ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है, जो मराठवाड़ा के प्रमुख शहरों — जालना, परभणी और नांदेड — को मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे से जोड़ता है. इस मार्ग को आधिकारिक तौर पर हिंदू हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग के नाम से भी जाना जाता है. छह लेन वाले इस खंड से जालना और नांदेड के बीच की दूरी 226 किलोमीटर से घटकर 179 किलोमीटर हो जाएगी और नांदेड से मुंबई की यात्रा का समय 12 घंटे से घटकर लगभग 6 घंटे रह जाएगा.

19 गांव के किसान प्रभावित

यह महामार्ग जालना, परभणी और नांदेड जिलों से होकर गुजरेगा. 179 किलोमीटर लंबे इस खंड में से लगभग 93.52 किलोमीटर हिस्सा परभणी जिले के चार तालुकों से, 66.46 किलोमीटर हिस्सा जालना के तीन तालुकों से और 19.82 किलोमीटर हिस्सा नांदेड जिले के एक तालुके से होकर जाता है.

जालना जिले के जालना, परतूर और मंठा इन तीन तालुकों से होकर गुजरने वाले इस प्रोजेक्ट के चलते जालना तालुका के 19 गांव प्रभावित हो रहे हैं. प्रभावित किसान अपनी जमीनों के लिए उचित मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. किसानों की मांग है कि जैसे मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग के लिए जमीनों को जो मुआवजा दिया गया था, उसी प्रकार का मुआवजा उन्हें भी जालना-नांदेड समृद्धि महामार्ग के लिए दिया जाए.

इस प्रोजेक्ट की घोषणा महाराष्ट्र के 2021-22 के वार्षिक बजट में की गई थी, और दिसंबर 2021 में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी. हालांकि, अब तक इस महामार्ग का 50 प्रतिशत से भी कम भूमि अधिग्रहण हुआ है.

66 दिनों से किसानों का आंदोलन

जालना-नांदेड समृद्धि महामार्ग में गई जमीन को उचित मुआवजा मिलने की मांग को लेकर जालना तालुका के देवमूर्ती गांव में पिछले 66 दिनों से प्रभावित किसान धरना आंदोलन कर रहे हैं. इससे पहले भी इन किसानों ने करीब 7 दिन तक देवमूर्ती गांव में धरना आंदोलन (धरना प्रदर्शन) किया था, जिसके बाद उन्हें लिखित आश्वासन देकर आंदोलन स्थगित करवाया गया था. लेकिन, महीना बीत जाने के बावजूद मांगे पूरी नहीं होने के चलते अब किसानों ने फिर से आंदोलन शुरू कर दिया है.

बीते दो दिन पहले किसानों ने कुएं में कूदकर जलसमाधि आंदोलन किया था. करीब ढाई घंटे की समझाइश के बाद प्रशासन ने उन्हें बाहर निकाला और आंदोलन रोका गया. लेकिन आज एक बार फिर इन किसानों ने सूखे पड़े हुए कुएं में उतरकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है और महामार्ग में गई जमीन को उचित मुआवजे देने की मांग की है. किसानों के इस अनोखे आंदोलन की चर्चा फिलहाल पूरे जिले में जोरों से हो रही है. इस वक्त राज्य विधानसभा का मॉनसून सत्र भी चल रहा है, ऐसे में किसान चाहते हैं कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे और विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को उठाकर उनकी मांगें मंजूर की जाएं.(गौरव विजय साली का इनपुट)

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