Punjab Floods: ना घर के रहे ना खेत के! बाढ़ का पानी उतरने के बाद गांव लौट रहे लोगों का दोनों मोर्चों पर संघर्ष

Punjab Floods: ना घर के रहे ना खेत के! बाढ़ का पानी उतरने के बाद गांव लौट रहे लोगों का दोनों मोर्चों पर संघर्ष

Punjab Floods: पंजाब के होशियारपुर जिले में बाढ़ का पानी कम होने के बाद अपने गांवों को लौट आए कई परिवार अभी भी अपने क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि किसानों को अपने खेतों में गाद जमा होने के कारण फसल बोने में कठिनाई हो रही है.

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ना घर के रहे ना खेत के! बाढ़ का पानी उतरने के बाद गांव लौट रहे लोगों का दोनों मोर्चों पर संघर्ष Punjab Flood: दशकों बाद खतरनाक बाढ़ झेल रहा पंजाब

पंजाब में अब बाढ़ का पानी उतरने लगा है लोग घरों की ओर लौट चले हैं. मगर गांव लौट रहे लोग बाढ़ के बाद ना घर के रहे और ना ही खेत के. होशियारपुर जिले में अपने गांवों को लौटे कई परिवार अभी भी अपने क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर किसानों को खेतों में गाद जमा होने के कारण फसल बोने में मुश्किल हो रही है. हजारों एकड़ भूमि भारी गाद के नीचे दबी होने और दर्जनों घरों के क्षतिग्रस्त होने के कारण, ग्रामीणों ने कहा कि आने वाले सप्ताह उनके धैर्य की परीक्षा लेंगे, क्योंकि वे राहत और मुआवजे का इंतजार अभी तक कर रहे हैं.

'कीचड़ से भरा घर, खेत अभी भी जलमग्न'

रारा गांव निवासी मंजीत सिंह (54) ने बताया कि उनका परिवार टांडा-श्री हरगोबिंदपुर मार्ग पर एक पुल के पास ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर तिरपाल की चादरों के नीचे दो हफ्ते से ज़्यादा समय बिताने के बाद 8 सितंबर को घर लौटा. उन्होंने बताया कि हमारा घर और आस-पास का इलाका कीचड़ से भर गया है, दीवारें टूट गई हैं और फसलें भी बर्बाद हो गई हैं. हमने किसी तरह घर को रहने लायक तो बना लिया, लेकिन छतें कमजोर हैं और बारिश में पानी के रिसाव को रोकने के लिए तिरपाल से ढकी हैं. हमारे खेत अभी भी जलमग्न हैं. असली परीक्षा तो अब शुरू होगी. मंजीत ने सरकारी मदद मिलने की उम्मीद जताई.

'खेतों से गाद हटाने में लगेंगे दो साल'

रारा गांव की सरपंच के पति चरणजीत सिंह ने बताया कि उनकी 60 एकड़ जमीन में से 40 एकड़ जमीन बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुई है. बारह एकड़ ज़मीन पूरी तरह बह गई है, जबकि 28 एकड़ ज़मीन, जिसमें ज़्यादातर गन्ने की फ़सल है, पर तीन से चार फ़ीट तक गाद और कीचड़ की मोटी परतें जम गई हैं. गांव के कई अन्य लोगों की भी लगभग 50-60 एकड़ जमीन कटाव में चली गई है. उन्होंने कहा कि खेतों को साफ करने में कम से कम दो साल लगेंगे. 2023 की बाढ़ के दौरान भी कुछ खेत गाद से भर गए थे, जिसे किसान अब तक बहाल नहीं कर पाए थे. अब हमारी जमीन फिर से दब गई है. उन्होंने बताया कि गांव में लगभग 8-10 कच्चे मकान ढह गए हैं, जिससे कई प्रभावित परिवार अभी भी तिरपाल के नीचे रहने को मजबूर हैं.

'अभी तक एक ही परिवार को मिला मुआवजा'

चरणजीत सिंह ने बताया कि पीछे छूटी गाद रेतीली मिट्टी नहीं, बल्कि भारी कीचड़ है जिसे सूखने में महीनों लग जाएंगे, उसके बाद ही उसे हटाया जा सकेगा. ऐसी स्थिति में रबी की फसल नहीं बोई जा सकती. पंजाब सरकार की नई नीति 'जिसदा खेत, उसकी रेत' का जिक्र करते हुए, चरणजीत सिंह ने कहा कि एक बार कीचड़ सूख जाए, तो सूखी गाद को उठाने के लिए खरीदार मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है. इसके सूखने के बाद ही हमें पता चलेगा कि क्या इसे उन जगहों पर भराव सामग्री के रूप में बेचा जा सकता है जहां ऐसी मिट्टी की ज़रूरत है. उन्होंने आगे बताया कि उनके गांव में लगभग 200 एकड़ जमीन पर ऐसी गाद जमा हो गई है. उन्होंने यह भी बताया कि राजस्व और अन्य सरकारी अधिकारियों ने हाल ही में नुकसान का आकलन करने के लिए गांव का दौरा किया था. अभी तक बाढ़ में डूबे एक व्यक्ति के परिवार को ही 4 लाख रुपये का मुआवजा मिला है.

खेतों में 2 से 6 फीट तक गाद जमा हुई

मुकेरियां उपमंडल के मेहताबपुर गांव के सरपंच मनजिंदर सिंह ने कहा कि करीब 1,000 एकड़ कृषि भूमि गाद और कीचड़ से भर गई है, जबकि कुछ हिस्से कटाव का शिकार हो गए हैं. कुछ खेतों में 2 से 6 फीट तक गाद जमा हो गई है. "मेरी अपनी 8 एकड़ ज़मीन पर 2 फीट तक कीचड़ जम गया है, जबकि कुछ हिस्सों में नदी का रुख बदल गया है और पानी ज़मीन से होकर बह रहा है. मुझे डर है कि मेरी ज़मीन जल्द ही नदी में समा जाएगी. उन्होंने तटबंधों में आई दरारों को भरने के काम की धीमी गति की भी शिकायत की. उन्होंने आरोप लगाया कि ठेकेदार मिट्टी वहां डाल रहा है जहां इसकी तत्काल आवश्यकता नहीं है, जबकि संवेदनशील बिंदुओं की अनदेखी की जा रही है. काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है. 

इस मौसम रबी की बुवाई नामुमकिन

मेहताबपुर के एक अन्य निवासी रणजोध सिंह ने बताया कि पास के मुशैबपुर गांव में उनकी 25 एकड़ की कृषि भूमि पूरी तरह से नष्ट हो गई है. उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि 4 से 6 फुट तक गाद जम गई है और बजरी और पत्थर भी खेतों में फैल गए हैं. इस समय खेतों तक पहुंचना भी मुश्किल है, जमा मिट्टी हटाना तो दूर की बात है. यह रेतीली मिट्टी नहीं, बल्कि मोटी गाद है जिसे सूखने में महीनों लगेंगे. तब तक कुछ भी नहीं हटाया जा सकता, इसलिए हम इस मौसम में रबी की फसल नहीं बो सकते.

गंधोवाल गांव की निवासी दलजीत कौर ने बताया कि बाढ़ के पानी से नींव कमजोर होने के कारण उनका घर ढह गया. उन्होंने कहा कि मैं किसी तरह अपना कुछ सामान बचाकर श्री हरगोबिंदपुर आ गई, जहां मैं अपने तीन बच्चों के साथ किराए के कमरे में रह रही हूं. हमारे घर का ज़्यादातर सामान पानी में नष्ट हो गया. अब हम अपने घर के पुनर्निर्माण के लिए सरकारी सहायता का इंतज़ार कर रहे हैं.

(सोर्स- PTI)

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