Union Minister of Road Transport and Highways Nitin Gadkari addressing an event in Nagpur. (Photo: Screengrab/India Today)केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इथेनॉल के कारण चीनी उद्योग जीवित है और खेती में नई तकनीकों की आवश्यकता है. पुणे में नाम फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, गडकरी ने महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में किसानों की आत्महत्याओं के लिए पानी की कमी को जिम्मेदार ठहराया. वरिष्ठ भाजपा नेता ने जल संरक्षण और आत्महत्या करने वाले किसानों के बच्चों के कल्याण के क्षेत्र में अभिनेता नाना पाटेकर और मकरंद अनसपुरे के नेतृत्व वाले नाम फाउंडेशन के कार्यों की सराहना की.
गडकरी ने रविवार को कहा कि विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में किसानों की आत्महत्याओं का मुख्य कारण पानी है. अगर पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता, तो किसानों को यह कदम उठाने की ज़रूरत नहीं पड़ती. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में तकनीक लाने की जरूरत है और इस संबंध में प्रयोग पहले ही किए जा चुके हैं. क्रेंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम इथेनॉल के कारण 22 लाख करोड़ रुपये मूल्य का जीवाश्म ईंधन आयात करते हैं. आज गन्ना किसान और चीनी मिल संचालक सिर्फ़ इथेनॉल के आगमन की वजह से ही जीवित हैं.
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने कहा कि भारत में चीनी सरप्लस में है और चीनी मिलें सिर्फ़ इथेनॉल की बदौलत ही टिकी हुई हैं. इस महीने की शुरुआत में, कांग्रेस ने गडकरी पर हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि वह इथेनॉल उत्पादन के लिए "ज़ोरदार पैरवी" कर रहे हैं, जबकि उनके दोनों बेटे इथेनॉल बनाने वाली कंपनियों से जुड़े हैं और सरकारी नीतियों से "लाभ" उठा रहे हैं. भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी की तरह हो गई है, जो अपनी जेब में गड़बड़ियों के दस्तावेज़ी सबूत होने का "दावा" करती थी, लेकिन हकीकत में उसके पास कुछ भी नहीं होता था.
गडकरी ने गुरुवार को कहा था कि पेट्रोल ईंधन में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने को लेकर सोशल मीडिया पर चल रहा हंगामा उन्हें राजनीतिक रूप से निशाना बनाने के लिए एक "पेड कैंपेन" है. उन्होंने कहा कि ऑटोमोबाइल उद्योग सहित सभी हितधारकों के साथ E20 (20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल) पर स्पष्टता आ गई है. कांग्रेस पार्टी के ये आरोप सुप्रीम कोर्ट द्वारा 20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (EBP-20) के देशव्यापी इस्तेमाल को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज करने के बाद आए हैं.
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि लाखों वाहन चालकों को अपने वाहनों के लिए डिजाइन न किए गए ईंधन का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. E-20 ईंधन के वाहनों पर पड़ने वाले प्रभाव, जिसमें ईंधन की बचत और इंजन के पुर्जों पर पड़ने वाला प्रभाव शामिल है, सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया, जहां कई लोगों ने दावा किया कि इससे माइलेज में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आई है.
(सोर्स- PTI)
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