जिला एग्रोमीटेरोलॉजिकल यूनिट (DAMU) के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिससे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के रबी सीजन के लिए 3 अक्टूबर से शुरू होने वाले 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' को तगड़ा झटका लग सकता है. कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक डैमू की यूनिट्स को बहाल नहीं किया जाता और उनकी सेवाएं जारी रखने का फैसला नहीं होता, तब तक वे आगामी ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ में भाग नहीं लेंगे.
एग्रोमीटेरोलॉजिकल यूनिट्स एसोसिएशन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषि मंत्रालय को भेजे पत्र में चेताया है कि डैमू बंद होने से न सिर्फ किसानों को बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र को नुकसान होगा. पत्र में कहा गया है कि ये इकाइयां किसानों के लिए मौसम आधारित सलाह, शुरुआती चेतावनी अलर्ट और फसल प्रबंधन मार्गदर्शन का अहम जरिया रही हैं. इनके बिना किसान बुवाई, सिंचाई और कटाई जैसे अहम फैसले समय पर नहीं ले पाएंगे.
एसोसिएशन ने जोर देकर कहा है कि रबी सीजन में डैमू की भूमिका सबसे अहम रहती है. इनके सहयोग से सरकार की योजनाओं और अभियानों, खासतौर से विकसित कृषि संकल्प अभियान को जमीनी स्तर तक पहुंचाया जाता है. सरकार ने 2024 की शुरुआत में नीति आयोग के निर्देश पर 199 डैमू बंद कर दिए थे, जबकि पायलट प्रोजेक्ट 2026 तक चलना था.
इसके बावजूद करीब 130 कर्मचारी अदालत से स्टे ऑर्डर लेकर अब भी किसानों को मौसम और फसल संबंधी सलाह दे रहे हैं. हालांकि, वेतन मार्च 2025 में ही कोर्ट के आदेश से जारी किया गया था. कर्मचारियों का कहना है कि डैमू बंद होने से रबी सीजन की गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित होंगी. किसानों को समय पर जानकारी नहीं मिल पाएगी, जिससे पैदावार, संसाधन प्रबंधन और आय पर सीधा असर पड़ेगा. यही कारण है कि डैमू कर्मचारी VKSA-2025 का बहिष्कार करेंगे.
एसोसिएशन ने मांग रखी है कि सभी डैमू को तत्काल बहाल किया जाए, मौजूदा स्टाफ को सेवाओं में बनाए रखा जाए और इन इकाइयों को ICAR और ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के अधीन कर दिया जाए, ताकि किसानों तक बिना रुकावट मौसम आधारित सलाह पहुंच सके.
2018 में शुरू हुए डैमू ने पिछले छह वर्षों में 199 ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन स्थापित किए, विशेषज्ञ और पर्यवेक्षक तैनात किए और गांव-गांव में जलवायु जागरूकता अभियान चलाए.
इन प्रयासों से ओलावृष्टि, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं के दौरान किसानों को नुकसान से बचाने में मदद मिली. डैमू की एडवाइजरी को किसानों के नुकसान कम करने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दावों में कमी लाने और बदलते मौसम के अनुरूप खेती अपनाने में कारगर माना गया है.
इस फैसले का विरोध केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस सांसद जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने भी किया है. वहीं, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का कहना है कि डैमू की सेवाओं को जारी रखने के लिए स्थायी ढांचा बनाने पर विचार चल रहा है, लेकिन अंतिम फैसला अभी नहीं हुआ है. (पीटीआई के इनपुट के साथ)
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