कृषि उपज विपणन समिति (APMC) यार्ड और खरीद केंद्रों पर अनाज की आवक में कमी के साथ 2 मई को लगभग 0.5 मिलियन टन से बुधवार 10 मई से दैनिक गेहूं खरीद घटकर 0.2 मिलियन टन हो गई. इसके बावजूद, सरकार को इस साल लगभग 27 मिलियन टन गेहूं की खरीद की उम्मीद है, जो कि खाद्य सुरक्षा कानून और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत वार्षिक मांग से लगभग 8.5 मिलियन टन अधिक है. भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष अशोक के मीणा ने बिजनेसलाइन को बताया कि हालांकि यह (27 मिलियन टन) अनुमानित खरीद (34.15 मिलियन टन) से कम है. लेकिन यह आवश्यकता (18.4 मिलियन टन) से बहुत अधिक है.
उन्होंने कहा, पहली बार, खरीद सुनिश्चित करने के लिए किसी भी तरफ से कोई डिस्ट्रेस कॉल नहीं आया क्योंकि इस वर्ष किसानों को या तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिल रहा था या अधिक मिल रहा था.
अशोक के मीणा ने कहा, “उत्तर प्रदेश में 85 प्रतिशत आवक निजी क्षेत्र द्वारा खरीदी जाती है, जो एमएसपी से अधिक की पेशकश कर रहे हैं. अब से आवक धीरे-धीरे कम होगी, क्योंकि जो लोग सरकार को बेचना चाहते थे, वे पहले ही कर चुके हैं.” उन्होंने आगे कहा, यह अच्छी स्थिति है कि जहां किसानों को उनके गेहूं के अच्छे दाम मिल रहे हैं, वहीं सरकार भी जरूरत से ज्यादा खरीद पा रही है.
नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चालू सीजन (अप्रैल-जून) में 10 मई तक गेहूं की खरीद 42.8 प्रतिशत बढ़कर 25.41 मिलियन टन हो गई है, जो एक साल पहले 17.8 मिलियन टन थी. देश में आधिकारिक खरीद 2022-23 में 15 साल के निचले स्तर 18.79 मिलियन टन तक गिर गई, जिससे सरकार को निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा जो अभी भी जारी है. वहीं, तीन राज्यों से लक्षित 28.7 मिलियन टन में से - पंजाब में 13.2 मिलियन टन, मध्य प्रदेश में 8 मिलियन टन और हरियाणा में 7.5 मिलियन टन - अब तक लगभग 87 प्रतिशत हासिल किया जा चुका है.
पंजाब ने 10 मई तक 9.47 मिलियन टन के स्तर से 11.93 मिलियन टन की खरीद में 26 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई है, हरियाणा ने एक साल पहले के 4.07 मिलियन टन से 6.24 मिलियन टन और मध्य प्रदेश में 53.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. गेहूं की खरीद 67.7 प्रतिशत बढ़कर 67.6 लाख टन हो गई, जो 40.3 लाख टन थी.
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आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे बड़े गेहूं उत्पादक उत्तर प्रदेश में खरीद 0.21 मिलियन टन से 16.9 प्रतिशत गिरकर 0.18 मिलियन टन हो गई है. लेकिन राजस्थान ने अभी तक सेंट्रल पूल स्टॉक में 0.3 मिलियन टन का योगदान दिया है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह केवल 758 टन था.
पंजाब, जिसकी एक सप्ताह पहले गेहूं की कुल दैनिक आवक में 70 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी थी, ने 10 मई को 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी दर्ज की है, जबकि उसी दिन, मध्य प्रदेश से कुल आवक का 55 प्रतिशत दर्ज किया गया था. विशेषज्ञों ने कहा कि चूंकि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में निजी क्षेत्र द्वारा तेजी से खरीदारी और पंजाब और हरियाणा में स्टॉक की कमी के बीच बहुत कम गुंजाइश है, केवल मध्य प्रदेश ही कुछ गुंजाइश प्रदान करता है.
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रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवनीत चितलंगिया ने कहा, "अब आप हर दिन कम खरीद देखेंगे क्योंकि अधिकतम गेहूं, जो पंजाब और हरियाणा के किसानों से आ सकता था, पहले ही एफसीआई और राज्य एजेंसियों द्वारा खरीदा जा चुका है." उन्होंने कहा कि चूंकि यूपी और राजस्थान में किसानों को एमएसपी से बेहतर कीमत मिल रही है, इसलिए वे अपना गेहूं सरकार को बेचने में सबसे कम रुचि दिखा रहे हैं. चितलांगिया ने कहा, “दक्षिणी राज्यों की मिलें मध्य प्रदेश से गेहूं खरीद रही हैं. इसलिए, सरकार इस साल 27-28 मिलियन टन पर सिमट जाएगी."
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