बाल्टी भर कर दूध देंगी गाय-भैंस, बस खिला दें ये पौष्टिक और फायदेमंद घास

बाल्टी भर कर दूध देंगी गाय-भैंस, बस खिला दें ये पौष्टिक और फायदेमंद घास

Animal Feed: एक घास है जिसे खाकर गाय-भैंस बाल्टी भर-भर दूध देने लगेंगी. साथ ही इस चारे को उगाना भी आसान है. आइए जानते हैं कौन सा है वो चारा और क्या है उसकी खासियत.

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बाल्टी भर कर दूध देंगी गाय-भैंस, बस खिला दें ये पौष्टिक और फायदेमंद घासपशुओं के लिए फायदेमंद घास

किसान और पशुपालक अपने पशुओं को अलग-अलग तरह का चारा उगाते और खिलाते रहते हैं. किसानों का मुख्य उद्देश्य होता है कि पशु स्वस्थ रहें और दूध उत्पादन भी बढ़े. लेकिन किसानों के सामने यह चुनौती हमेशा बनी रहती है कि उन्हें हर साल चारा उगाना पड़ता है और कई बार उसे तेजी से बढ़ाने के लिए रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है. इससे जहां चारा जल्दी बढ़ता है, वहीं जब पशु उसे खाते हैं तो उनकी सेहत पर भी इसका नकारात्मक असर भी पड़ सकता है. ऐसे में एक घास है जिसे खाकर गाय-भैंस बाल्टी भर-भर दूध देने लगेंगी. साथ ही इस चारे को उगाना भी आसान है. आइए जानते हैं कौन सा है वो चारा और क्या है उसकी खासियत. 

काली नेपियर घास की खासियत

नेपियर घास का नाम तो आपने सुना ही होगा. हाथी घास के नाम से मशहूर नेपियर घास पशुओं के लिए काफी फायदेमंद भी होती है. लेकिन आप नेपियर की जगह अब काली नेपियर घास पशुओं के आहार में शामिल कर सकते हैं. यह घास न सिर्फ पशुओं की सेहत में सुधार लाती है, बल्कि दूध की मात्रा को भी बढ़ाती है. वहीं, इस घास की सबसे बड़ी खासियत यह है कि काली इसे एक बार लगाने के बाद 5 से 6 साल तक आसानी से काटा जा सकता है और इसे कहीं भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा इसे खाकर पशु स्वस्थ, ऊर्जावान और अधिक दूध देने लगते हैं.

काली नेपियर घास के फायदे

  • काली नेपियर घास में ऐंठो साइनिंग ज्यादा होने के कारण पशुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है.
  • इस घास को खाने से पशुओं को रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है.
  • इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर और फास्फोरस जैसी जरूरी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं.
  • यह घास नरम और सॉफ्ट होती है जिसके कारण पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं.
  • यही वजह है कि पशुपालकों से बीच काली नेपियर घास का क्रेज लगातार बढ़ रहा है.

किसानों के लिए वरदान है ये घास

किसान आमतौर पर अन्य घासों के लिए बार-बार बुआई करते हैं और अक्सर कीट या फफूंदी की समस्या से भी जूझते हैं. लेकिन काली नेपियर घास में किसी तरह के कीट या फफूंदी लगने का खतरा नहीं होता है. इसके अलावा, इसे खाने से पशुओं की पेट की समस्या और त्वचा से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती हैं. कुल मिलाकर काली नेपियर घास पशुपालकों के लिए एक वरदान की तरह है. इससे न सिर्फ पशुओं की सेहत में सुधार होता है बल्कि दूध की मात्रा बढ़ने और किसानों की आय बढ़ाने में भी कारगर है.

कब और कैसे करें इसकी खेती

काली नेपियर घास की खेती किसान किसी भी मौसम में कर सकते हैं. इस घास को बोने के लिए इसके डंठल को काम में लिया जाता है, जिसे नेपियर स्टिक कहा जाता है. स्टिक को खेत में डेढ़ से दो फिट की दूरी पर रोपा जाता है. वहीं, एक बीघा में करीब 8 हजार डंठल की आवश्यकता होती है. इस घास के डंठल को सितंबर से अक्टूबर और फरवरी में बोया जा सकता है. वहीं, इसके बीज नहीं होते हैं. साथ ही इसकी खेती के लिए उचित जल निकास वाली मटियार और बलुई दोमट मिट्टी बेस्ट है.

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