
महाराष्ट्र का नासिक सिर्फ प्याज की खेती के लिए ही मशहूर नहीं है बल्कि अंगूर भी यहां की एक प्रमुख फसल है. नासिक को "भारत की अंगूर राजधानी" कहा जाता है. लेकिन, यहां के किसान प्याज की तरह की अंगूर के अच्छे दाम के लिए भी परेशान हैं. जो अंगूर आप दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक के भाव पर खरीद रहे हैं उसका किसानों को कितना पैसा मिलता है? इसे आपको जरूर जानना चाहिए. नासिक के किसान जब मंडी में इसे बेचने जाते हैं तो उन्हें इसका भाव सिर्फ 11 से लेकर 12 रुपये प्रति किलो मिलता है. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो अंगूर पैदा करता है कि उसे कितना कम भाव मिल रहा है.
इसे इस तरह भी देख सकते हैं कि 12 रुपये प्रति किलो की दर से किसान के खेत से बिकने वाले अंगूर की कीमत आप तक पहुंचते-पहुंचते आठ से दस गुना बढ़ जाती है. किसान की वजह से कभी महंगाई नहीं बढ़ती बल्कि बिचौलियों और ट्रेडर्स की वजह से महंगी चीजें आप तक पहुंचती हैं. नासिक के चरोटी गांव निवासी किसान संतोष सुकले और सुभाष हंडगे ने कम दाम मिलने को लेकर 'किसान तक' से अपना दर्द साझा किया.
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश के अंगूर किसानों की क्या हालत है. किसान अपना अंगूर 10-12 रुपये किलो बेचने को मजबूर है, क्योंकि वह अपनी उपज को रोक कर नहीं रख सकता. उसके पास स्टॉक रखने का साधन नहीं. दूसरी ओर इसी अंगूर को बाजारों में एक आम उपभोक्ता 100 रुपये किलो में खरीदता है. यही अंगूर सुपरमार्केट में 150 रुपये किलो और ऑनलाइन मार्केट में 200 रुपये तक चला जाता है. खबर लिखते वक्त जेप्टो साइट पर अंगूर का भाव 99 रुपये प्रति आधा किलो चल रहा है जबकि ब्लिंकिट पर यही रेट 86 रुपये आधा किलो का है. अब आप खुद समझ लें अंगूर उगाने वाले किसान को क्या मिल रहा है और कंपनियां क्या ले रही हैं और उपभोक्ताओं को कितना भुगतना पड़ रहा है.
किसान सुभाष ने बताया कि इस साल अंगूर की खेती करने वाले किसानों की हालत बहुत ज्यादा खराब है. बेमौसम बारिश और बाज़ारों में उचित भाव नहीं मिलने से किसान संकट में हैं. लागत निकालना मुश्किल हो गया है. उन्होंने डेढ़ एकड़ जमीन में अंगूर की खेती है. उस पर करीब तीन लाख रुपये का खर्च आया है और बाजार में भाव सिर्फ 11 से लेकर 12 रुपये प्रति किलो की दर पर मिल रहा है. वहीं संतोष बताते हैं प्रति किलो की बात करें तो लागत 20 से 22 रुपये तक आ पहुंची है. ऐसे में इस साल किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें- नासिक की किसान ललिता अपने बच्चों को इस वजह से खेती-किसानी से रखना चाहती हैं दूर
किसान संतोष ने कहा इस साल बेमौसम बारिश के कारण अंगूर की क्वालिटी खराब हुई है. इसलिए एक्सपोर्ट में बहुत दिक्कत हो रही है. एक्सपोर्ट होने वाले अंगूर का दाम किसानों को 50 से 60 रुपये किलो तक मिलता है. सामान्य तौर पर घरेलू बाजार में अच्छी क्वालिटी वाले अंगूर का दाम 30 रुपये प्रति किलो तक मिल जाता था. लेकिन, इस साल स्थानीय बाजार ने किसानों को नुकसान किया है. इस साल महज 12 रुपये तक का ही भाव मिल रहा है. जबकि प्रकृति की मार से अंगूर की फसल खराब हुई है इसलिए उसे एक्सपोर्ट करना मुश्किल हो रहा है.
दाम अच्छा न मिलने से परेशान संतोष ने बताया कि अभी तक 18 क्विंटल उत्पादन निकला है उसमें तो 10 क्विंटल अंगूर खराब निकल है. प्याज़ का दाम कम है इसलिए सरकार ने उन्हें सब्सिडी दी है. लेकिन अंगूर की खेती करने वालों को कुछ नहीं मिला. जबकि नुकसान उनका भी हुआ है. बेमौसम बारिश से जो अंगूर की खेती खराब हुई है उसका सर्वे तक नहीं हुआ है. कोरोना काल से ही अंगूर किसानों को सही दाम न मिलने की समस्या आ रही है. अब अंगूर की खेती करने का मन नहीं करता है. क्योंकि मुनाफा नहीं हो रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today