पहाड़ी और मैदानी इलाकों में लगातार भारी बारिश से प्रदेश के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं. योगी सरकार द्वारा लगातार इन इलाकों में युद्धस्तर पर राहत कार्य किये जा रहे हैं. इस बार लखीमपुर खीरी, सीतापुर, पीलीभीत, बाराबंकी समेत दर्जन जिले ऐसे हैं, जहां बाढ़ का प्रकोप न के बराबर है. इसकी मुख्य वजह इन जिलों में बहने वाली नदियों में डेजिंग से नदियों का मूल स्वरूप वापस लौट आया और वह दोबारा अपने मूल प्रवाह में बहने लगीं. इसी के तहत शारदा नहर में डेजिंग की गई. इसका नतीजा यह रहा कि जहां पिछले कई वर्षों से शारदा नहर के तेज बहाव से बाढ़ से प्रभावित जिलों में इस बार बाढ़ का प्रकोप देखने को नहीं मिला और लाखों की जनसंख्या में जनमानस और खेतिहर भूमि पर बाढ़ का प्रभाव देखने को नहीं मिला. इतना ही नहीं डेजिंग कार्य से राजस्व को भी करोड़ों का फायदा हुआ.
प्रदेश के करीब 12 जिलों से होकर शारदा नहर प्रवाहित होती है. ऐसे में मानूसन के दौरान जब नेपाल में भारी बारिश होती है तो वहां से शारदा नहर में पानी छोड़ दिया जाता है, जिससे शारदा विकराल रूप धारण कर लेती है. वर्तमान में शारदा नहर में 4 लाख क्यूसेक पानी बहर रहा है. इससे प्रदेश के 12 जिलों में बहने वाली शारदा नहर के विकराल प्रवाह से काफी नुकसान होता है. सीएम योगी ने समस्या का संज्ञान लिया. साथ ही सीएम योगी ने लखीमपुर खीरी के शारदा नहर क्षेत्र में वर्षों से चल रही बांध निर्माण की कवायद को महज कुछ मिनटों में सुलझाकर करोड़ों के प्रोजेक्ट को भी कम लागत में और समय रहते पूरा किया जा सकता है. इस पहल से लाखों किसानों और ग्रामीणों का फायदा हो गया. सीएम के निर्णय से शारदा नहर क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बैठक में उच्च अधिकारियों ने बताया था कि मानूसन के दौरान लखीमपुर खीरी की पलिया क्षेत्र बहने वाली शारदा नहर में पानी का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हर साल पलिया और निद्यासन क्षेत्र के लाेग बाढ़ की समस्या से जूझते हैं. इसके साथ ही शारदा नहर के प्रवाह से 12 जिलों में बाढ़ का प्रकोप हर साल रहता है. अधिकारियों ने बताया कि यहां पर शारदा नहर और समपरती भूमि बराबर हो गयी है. इससे हर साल बाढ़ का पानी आस-पास के गांव, खेत और रेलवे लाइन को प्रभावित करता है.
इससे 16 गांव की 80 हजार आबादी और अप्रत्यक्ष रूप से करीब डेढ़ लाख लोग प्रभावित होते हैं. वहीं हर साल 10 हजार हेक्टेयर से अधिक खेतिहर भूमि प्रभावित होती है. उन्होंने इस समस्या से निजात के लिए सीएम के सामने शारदा नहर पर मिट्टी का बांध बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सीएम योगी ने गहनता से समझा. उन्होंने बताया कि बांध के लिए 40 हेक्टेयर जमीन की जरुरत पड़ेगी. इसके लिए करीब 200 किसानों से जमीन अधिग्रहित करनी होगी. अधिकारियों ने मिट्टी के बांध बनाने की लागत 180 करोड़ बतायी.लेकिन महज 22 करोड़ में पूरा प्रोजेक्ट सिमट गया.
डेजिंग से नहर का पानी नियंत्रित मार्ग से बहने लगा है. इससे 16 गांव और आस-पास के किसानों ने राहत की सांस ली. इतना ही नहीं, उन्हे अपनी उपजाऊ जमीन बिना गंवाए, समस्या से निजात मिल गयी. डेजिंग से न केवल बाढ़ का समाधान मिला, बल्कि शारदा नहर को उसका पुराना रूप भी वापस मिल गया है. अब यह नहर अपने मूल बहाव में बह रही है, जिससे जलप्रवाह में सुधार हुआ है और आने वाले समय में सिंचाई की सुविधा भी बेहतर होगी.
लखीमपुर खीरी जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने बताया कि 2017 में सरयू नदी के एल्गिन ब्रिज क्षेत्र में भी ऐसी ही समस्या थी. हर साल इस क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के लिए 115 करोड़ के ठेके दिए जाते थे. स्थानीय बड़े नेताओं के चाहने वाले इस काम को करते थे और सरकारी पैसा उड़ाते थे. सीएम योगी ने सरकार आने के बाद क्षेत्र का हवाई सर्वे किया और जमीन पर जाकर हकीकत जानी.
उन्होंने बताया कि सिंचाई विभाग को निर्देश दिए. विभाग की ओर से इस काम पर 2 डेजिंग मशीनों को लगाया गया. काम भी स्थायी तौर पर बन गया और लागत सिर्फ 5 करोड़ रह गयी. इससे न केवल इस क्षेत्र को 4 से 5 लाख क्यूसेक पानी से राहत मिली बल्कि सरकारी पैसे की भी बचत हुई और स्थायी समाधान मिला.
ये भी पढ़ें-
मौसम में बदलाव से बढ़ेगी बारिश की रफ्तार! कई राज्यों में चेतावनी, IMD ने दिया अपडेट
कागजों पर सप्लाई भरपूर, लेकिन गांवों में गोदाम खाली...छत्तीसगढ़ में गहराया खाद संकट
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today