एक बार फिर हरियाणा की मुर्रा भैंस की चर्चाएं जोर-शोर से हो रही हैं. लेकिन, फर्क इतना है कि इस बार ये चर्चाएं विदेशों में हो रही हैं. असल में इंग्लैंड के साथ ही इंडोनेशिया-मलेशिया को मुर्रा भैंस का दूध पसंद आ रहा है. मसलन दोनों ही देश हरियाणा से मुर्रा भैंस के दूध की खरीदारी कर रहे हैं. मुर्रा भैंस के दूध की खरीद दोनों ही देश हरियाणा की वीटा डेयरी से कर रहे हैं और हर रोज औसतन 20 से 25 हजार लीटर तक दूध की खरीद की जा रही है. आइए जानते हैं कि इंडोनेशिया और मलेशिया को हरियाणा की मुर्रा भैंस का दूध क्यों पसंद आ रहा है. इसके पीछे की कहानी क्या है.
इंग्लैंड-मलेशिया और इंडोनेशिया हरियाणा की मुर्रा भैंस का दूध पसंद आ रहा है. इसके पीछे खास वजह है. असल में इनमें से इंडोनेशिया और मलेशिया अपने निवासियों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए हरियाणा से मुर्रा भैंस का दूध खरीद रहे हैं. वहीं ताकत बढ़ाने के लिए हरियाणा की मुर्रा भैंस का दूध सिर्फ इंडोनेशिया और मलेशिया को ही नहीं इंग्लैंड को भी भा गया है. यही वजह है कि इंग्लैंड की भी एक दवा बनाने वाली कंपनी वीटा डेयरी से हर रोज करीब 15 हजार लीटर दूध की खरीद कर रही है.
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वीटा डेयरी के सीईओ चरण जीत सिंह ने किसान तक को बताया कि इंडोनेशिया-मलेशिया की दवाई बनाने वाली कंपनियों से करार हुआ है. उन्हें हर रोज उनकी जरूरत के हिसाब से दूध की सप्लाई दी जाती है. कभी 25 हजार लीटर होता है तो कभी 15-20 हजार लीटर. हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, झज्जर, भिवानी और रोहतक प्लांट से दूध इकट्ठा किया जाता है. इसके बाद बड़े-बड़े ड्रम में सोनीपत कंपनी के ठिकाने पर भेजा जाता है. इसमे ज्यादातर दूध मुर्रा नस्ल की भैंस का होता है. लेकिन जरूरत के हिसाब से गाय का दूध भी सप्लाई किया जाता है.
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सीईओ ने बताया कि इंडोनेशिया-मलेशिया की कुछ कंपनी वीटा डेयरी के अधिकारियों से मिली थीं. उनके पास मुर्रा भैंस से जुड़ी कुछ जानकारियां थीं. उसी जानकारी के आधार पर वो मुर्रा भैंस का दूध खरीदने आए थे. उनका कहना था कि ताकत की दवाईयां बनाने के लिए उन्हें जिस तरह का दूध चाहिए वो सारे पैरामीटर मुर्रा भैंस का दूध पूरा करता है. दूध भारत से इंडोनेशिया-मलेशिया भेजने के दौरान किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल न हो इसके लिए कंपनी ने सोनीपत में अपना ठिकाना बनाया हुआ है. वो डेयरी से दूध खरीदकर खुद अपने हिसाब से उसे इंडोनेशिया और मलेशिया भेजती हैं.
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