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फ्रोजन झींगा की विदेशों में डिमांड के चलते 32 से 42 हजार करोड़ पर पहुंचा एक्सपोर्ट

फ्रोजन झींगा की विदेशों में डिमांड के चलते 32 से 42 हजार करोड़ पर पहुंचा एक्सपोर्ट

साल 1994 में गुजरात में चार एकड़ से झींगा की शुरुआत हुई थी. आज गुजरात में करीब चार हजार एकड़ जमीन पर झींगा पालन हो रहा है. वो भी उस जमीन पर जो खारे पानी के चलते किसी भी तरह की खेती लायक नहीं बची थी. गुजरात, आंध्रा प्रदेश के अलावा उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा में झींगा का पालन खूब हो रहा है अब तो राजस्थान के चुरू तक में पंजाब के किसान झींगा पालन कर रहे हैं. 

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फिश एक्सपोर्ट और प्रोडक्शन के आंकड़ों पर एक नजर. ग्राफिक क्रेडिट- संदीप सिंह फिश एक्सपोर्ट और प्रोडक्शन के आंकड़ों पर एक नजर. ग्राफिक क्रेडिट- संदीप सिंह

फ्रोजन झींगा (श्रिम्प) की डिमांड विदेशों में भी खूब बढ़ रही है. इसका ताजा उदाहरण है केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एक रिपोर्ट. रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक ही साल 2021-22 में फ्रोजन झींगा का एक्सपोर्ट 32 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 42 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया. फिश एक्सपोर्ट की बात करें तो आठ आइटम के बीच फ्रोजन झींगा एक्सपोर्ट पहले नंबर पर है. झींगा का एक्सपोर्ट जहां पांच अंकों में हो रहा है वहीं बाकी के आइटम चार अंकों पर ही सिमटे हुए हैं. बीते साल 7.28 लाख मीट्रिक टन फ्रोजन झींगा दूसरे देशों को एक्स पोर्ट हुआ है. 

ऐसा नहीं है कि खारे पानी में सिर्फ झींगा मछली ही पाली जा सकती है. क्यों कि बहुत सारे लोग ऐसा सोचते हैं कि झींगा के लिए पानी खारा होना चाहिए. अगर बाजार में झींगा की डिमांड नहीं है या फिर दाम अच्छे नहीं मिल रहे हैं तो ऐसे में क्या करेंगे.

यह सोचना गलत है. खारे पानी में सिर्फ झींगा ही नहीं पाली जा सकती है. मछलियों की और भी बहुत सारी ऐसी वैराइटी हैं जो खारे पानी में पाली जाती हैं. इस लिहाज से आप बाजार की डिमांड और रेट के हिसाब से खारे पानी में मछली पालन कर सकते हैं.

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अमेरिका है मछली का सबसे बड़ा खरीदार 

केन्द्रीय मत्स्य मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि भारत से मछली खरीदने के मामले में अमेरिका पहले नंबर पर है. साल 2020-21 और 2021-22 में अमेरिका ने सबसे ज्यादा मछली खरीदी है. खास बात यह है कि मछली खरीद का यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है. 2020-21 में अमेरिका ने 25.4 फीसद मछली खरीदी थी. वहीं 2021-22 में यह आंकड़ा 27.21 फीसद पर पहुंच गया था. इसमे अलावा दूसरे नंबर पर चाइना है. वहीं तीसरे नंबर पर साउथ-ईस्ट एशिया है.  

खारे पानी में झींगा पालन की चल रही तैयारी 

समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीडा) के मुताबिक साल 2022-23 के लिए समुद्री खाद्य निर्यात का लक्ष्य 8,868 मिलियन अमेरिकी डॉलर निर्धारित किया गया है. जिसे पूरा करने के लिए झींगा मछली निर्यात को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. झींगा मछली पालन को और बढ़ाने के लिए खारे पानी की जलीय कृषि के तहत क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राज्यवार लक्ष्य तय किए गए हैं. खासतौर पर झींगा पालन को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है. पीएम मत्सय संपदा योजना के तहत गुणवत्ता, झींगा उत्पादन, प्रजाति विविधीकरण, निर्यात होने वाली प्रजातियों को बढ़ावा देने, ब्रांडिंग, मानकों और प्रमाणन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए सुविधाएं दी जा रही हैं.

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झींगा पालन के लिए पांच पीपीटी से कम न हो पानी में खारापन 

पंजाब फिशरीज डिपार्टमेंट के असिस्टेंट डायरेक्टर कर्मजीत सिंह ने बताया कि जरूरी नहीं कि सभी तरह की मछली हर तरह के पानी में पल जाए. हर एक मछली की पानी संबंधी अपनी जरूरत है. जैसे अगर झींगा मछली की बात करें तो इसके लिए पानी का खारा होना बहुत जरूरी है. अगर कोई मछली पालक झींगा पालना चाहता है तो सबसे पहले उसे पानी की जांच करानी चाहिए. जांच के दौरान पानी में कम से कम पांच पीपीटी तक खारापन हो. इसके अलावा मैगनिशियम और पौटेशियम भी बहुत जरूरी है. अगर पानी में पौटेशियम नहीं है तो उसे हम पानी में ऊपर से डालकर भी मिला सकते हैं. लेकिन पानी का खारापन तो प्राकृतिक ही होना चाहिए. 

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