केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने संसद में बताया है कि साल 2020-21 से 2024-25 के दौरान कुल 3,56,091 कीटनाशक नमूनों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 9,088 नमूने अवमानक पाए गए. इन मामलों में दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है. देश भर में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 12,511 कीटनाशक निरीक्षक नियुक्त किए गए हैं, जो नियमित रूप से विनिर्माण इकाइयों और बिक्री केंद्रों से नमूने एकत्र करते हैं. इनका मुख्य कार्य नकली, अवमानक और गलत ब्रांडिंग वाले कीटनाशकों की बिक्री पर अंकुश लगाना है, ताकि किसानों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिल सकें. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा किसानों को गुणवत्ता वाले कीटनाशकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कीटनाशक अधिनियम 1968 और कीटनाशक अधिनियम 1971 के विभिन्न प्रावधानों को लागू किया जाता है.
भारत सरकार ने उर्वरकों की गुणवत्ता को विनियमित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 के अंतर्गत उर्वरक नियंत्रण आदेश Fertilizer Control Order (FCO) 1985 जारी किया है. इस आदेश की अनुसूची I, III से VI और VIII में रासायनिक उर्वरक, जैव-उर्वरक, ऑर्गेनिक उर्वरक, तेल-रहित केक, जैव-उत्तेजक और ऑर्गेनिक कार्बन वर्धक के निर्देश दिए गए हैं. एफसीओ की धारा 19 उन उर्वरकों की बिक्री पर सख्त प्रतिबंध लगाती है जो निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं हैं. एफसीओ के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने पर प्रशासनिक कार्रवाई (जैसे प्राधिकरण पत्र को रद्द या निलंबित करना) और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 3 महीने से 7 वर्ष तक की अवधि के लिए जुर्माने सहित दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है. राज्य सरकारें, उर्वरक निरीक्षकों के माध्यम से गोदामों, निर्माण इकाइयों, खुदरा दुकानों आदि से नमूने लेकर उर्वरक की गुणवत्ता की जांच करने के लिए अधिकृत हैं. नकली कीटनाशक, खाद और बीज की समस्या भारतीय कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती रही है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है और फसल की पैदावार भी प्रभावित होती है. इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए, केंद्रीय कृषि मंत्रालय, विशेष रूप से कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सख्त कदम उठाए.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को नकली और अमानक कीटनाशकों से होने वाले नुकसान पर कड़ा रुख अपनाया है. गुरुवार को इस मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय बैठक करते हुए उन्होंने अधिकारियों को अहम निर्देश दिए. मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए नकली कीटनाशकों के बाजार में प्रवेश को पूरी तरह से रोकना होगा. शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि राज्यों के अपने प्रवास के दौरान उन्हें किसानों से लगातार यह शिकायत मिलती है कि नकली कीटनाशकों के कारण उनकी फसलें खराब हो जाती हैं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान होता है. इस गंभीर समस्या को संबोधित करते हुए, उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसी शिकायतों का समुचित निवारण किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी नकली या अमानक कीटनाशक बाजार में न बिक पाए.
शिवराज सिंह ने कीटनाशकों के रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) की प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने पर विशेष जोर दिया. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे राज्य सरकारों के साथ मिलकर पूरे सिस्टम को मजबूत करें. शिवराज सिंह ने कहा कि पंजीयन प्रक्रिया इतनी सरल और प्रभावी होनी चाहिए कि किसानों या डीलरों को कृषि विभाग के चक्कर न लगाने पड़ें और इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश न हो. उन्होंने यह भी कहा कि पूरी प्रक्रिया में ट्रैकिंग की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि यदि कोई बेईमानी करता है या नकली/घटिया कीटनाशक बेचता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में भी इस मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया गया और गुणवत्ता नियंत्रण व प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए. इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को धोखाधड़ी से बचाना और उन्हें गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट उपलब्ध कराना है ताकि वे बेहतर उपज प्राप्त कर सकें.
ये भी पढ़ें-
फिर भड़केगा किसान विरोध प्रदर्शन! बिजली समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी
मुनाफे का जरिया बनी पॉली हाउस तकनीक, फूलों की खेती से एक साल में 10 लाख की कमाई
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today