पिछले दो साल किसानों को लहसुन के बहुत अच्छे रेट मिले. किसानों ने खूब कमाई की. मगर इस साल रेट बढ़ने का नाम नहीं ले रहा. कीमतें 100 रुपये किलो तक गिर गई हैं. इससे किसानों में मायूसी है क्योंकि पिछले दो साल जिस तरह की कमाई हुई, इस साल वैसी कमाई नहीं है. हालांकि लागत निकालने में कोई मुश्किल नहीं है. एक्सपर्ट बताते हैं कि जब लहसुन का दाम 30-40 रुपये किलो भी रहे तो किसानों को लागत मिल जाती है क्योंकि अगले सीजन में वे अपनी ही उपज से बीज का भी काम चला लेते हैं.
लहसुन के रेट गिरने की वजहों की बात करें तो इसमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारण दोनों जिम्मेदार हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत के लहसुन की अच्छी मांग है, मगर कीमतें अच्छी नहीं मिल रही हैं. विदेशी बाजारों में भारत के लहसुन का भाव 30 रुपये से लेकर 80-90 रुपये किलो तक है. कुछ ऐसा ही रेट घरेलू बाजार में भी दिख रहा है. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दाम लगभग एक जैसे होने से भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
रेट गिरने की दूसरी बड़ी वजह है मार्केट में दोयम दर्जे के लहसुन की सप्लाई होना. एक्सपर्ट बताते हैं कि लहसुन की कटाई होने के बाद किसान अच्छी क्वालिटी की उपज को रोक कर रख लेते हैं ताकि अगले सीजन में वे बीज के तौर पर इस्तेमाल कर सकें. इसलिए बाजार में अभी अच्छी क्वालिटी का लहसुन नहीं दिख रहा है. किसान बीज के लिए अच्छे लहसुन को रोक कर थोड़े खराब क्वालिटी के लहसुन को बाजार में बेच रहे हैं जिसकी कीमतें भी बहुत हद तक गिरी हुई हैं. इस ट्रेंड में जल्दी कोई बदलाव भी होता नहीं दिख रहा. ऐसे में मान कर चलें कि लहसुन के भाव अभी गिरे ही रहेंगे और किसानों को कम कमाई होगी.
भविष्य में लहसुन का क्या रेट होगा? इसके बारे में एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर मौजूदा समय की तरह ही बाजार चलता रहा तो लहसुन के भाव में कोई उछाल देखने को नहीं मिलेगा. 10-20 रुपये ऊपर जा सकते हैं, उससे अधिक का फायदा नहीं होगा. अगर बाजार में विदेशी माल की दखल बढ़ती है, यानी आयात का माल भारत में बिकती है तो लहसुन के भाव अचानक से गिरेंगे जिससे स्थानीय किसानों को बहुत बड़ा नुकसान होगा. देश में लहसुन का इतना स्टॉक मौजूद है कि उसे विदेशी माल की जरूरत नहीं होगी.
देश के लहसुन किसानों को अच्छा रेट मिलता रहे, इसके लिए क्या करना चाहिए? इसके जवाब में एक्सपर्ट बताते हैं कि जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश का उदाहरण ले सकते हैं. इन दोनों राज्यों ने लहसुन उत्पादन में नया रिकॉर्ड बनाया है. दोनों राज्यों में बड़े लहसुन की पैदावार होती है. ऐसी ही पैदावार चीन में होती है जिसका आयात भारत करत है. अगर दोनों राज्यों के किसानों को सरकारी मदद मिले तो वे बड़े लहसुन का उत्पादन अधिक मात्रा में करेंगे जिससे भारत को चीनी लहसुन के आयात से मुक्ति मिल जाएगी. इन दोनों राज्यों के किसानों ने लहसुन से अच्छी कमाई भी की है क्योंकि पहले 25-30 रुपये रेट मिलते थे, मगर इस बार 80-90 रुपये के रेट मिल रहे हैं.
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