Paddy variety: कम पानी में जल्दी पकने वाली धान की 4 किस्में, सीधी बुवाई से होगी बंपर पैदावार

Paddy variety: कम पानी में जल्दी पकने वाली धान की 4 किस्में, सीधी बुवाई से होगी बंपर पैदावार

कम पानी और कम समय में बंपर पैदावार देने वाली धान की चार प्रमुख किस्में सीधी बुवाई (DSR) के लिए वरदान साबित हो रही हैं. ये किस्में किसानों को न सिर्फ पानी और लागत की बचत करने में मदद करती हैं, बल्कि गेहूं जैसी अगली फसल की समय पर बुवाई के लिए समय मिल जा्ता है. इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और मशीन से बुवाई में आसानी इन्हें किसानों की पसंदीदा बना रही है. ये किस्में उन क्षेत्रों के लिए काफी बेहतर हैं जहां पानी की कमी है या मॉनसून देर से आता है, जिससे किसानों की आय और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों बढ़ती है.

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Paddy variety: कम पानी में जल्दी पकने वाली धान की 4 किस्में, सीधी बुवाई से होगी बंपर पैदावारमॉनसून में धान की खेती तेजी से चल रही है

जलवायु परिवर्तन और जल संकट की चुनौतियों के बीच धान की खेती के तरीके और किस्मों में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है. विशेष रूप से उन क्षेत्रों में, जहां मॉनसून अनियमित होता है और जल की उपलब्धता सीमित होती है, वहां कम पानी में तैयार होने वाली और जल्दी पकने वाली धान की किस्में किसानों के लिए संजीवनी बनकर उभर रही हैं. अतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (ISARC) ने धान की सीधी बुवाई (DSR) के लिए चार नई किस्में विकसित की हैं, जो किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो रही हैं. ये किस्में न केवल खेती को आसान बनाती हैं बल्कि कम पानी और कम लागत में भी शानदार उत्पादन देती हैं. इन किस्मों के नाम हैं:  एडीटी बीआर आर आई 75, बीआर आर आई 75, पीआर 126 और स्वर्मा. इन किस्मों ने उत्तर प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ के किसानों के बीच विशेष लोकप्रियता हासिल की है. 

एडीटी 59 किस्म सीधी बुवाई के लिए बेहतर 

एडीटी 59 धान की एक ऐसी किस्म है जो 105-110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिससे यह एक जल्दी पकने वाली किस्म बन जाती है. इसकी प्रमुख विशेषताओं में कम पानी की जरूरत होती है, जो इसे पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए बेहतर है. इसके अतिरिक्त, यह किस्म झुलसा और कीट-रोगों के प्रति सहनशील है, जिससे फसल का नुकसान कम होता है और किसानों को बेहतर उपज मिलती है. इसकी उपयोगिता की बात करें तो, एडीटी 59 धान की सीधी बुवाई (DSR) पद्धति के लिए बेहद उपयुक्त है. यह उन किसानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित होती है जहां मॉनसून देर से आता है या पानी की कमी होती है. इसे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी शानदार पैदावार देती है.

पूर्वी भारत में सफल किस्म है BRRI 75

बीआरआरआई 75 (BRRI) धान की ऐसी किस्म है जो 110-115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिससे यह कम समय में तैयार होने वाली धान की किस्मों में से एक बन जाती है. इसकी मुख्य खासियत अच्छे दाने की गुणवत्ता शामिल है, जो इसे बाजार में पसंदीदा बनाती है. यह किस्म मध्यम सिंचाई में भी अच्छी उपज देने की क्षमता रखती है, जिससे यह उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है जहां पानी की उपलब्धता सीमित हो सकती है. भारत में, BRRI धान 75 का झारखंड, ओडिशा और पूर्वी भारत के अन्य हिस्सों में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है और किसानों ने इसे बड़े पैमाने पर अपनाया है. 

पीआर 12 कम पानी में देती है अधिक उपज 

पीआर 126 एक ऐसी धान की किस्म है जो 123-125 दिनों में पककर तैयार होती है. इसकी मुख्य खासियत में कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता शामिल है, जिससे यह जल-संरक्षण के लिए एक उत्तम विकल्प है. यह किस्म धान की सीधी बुवाई (DSR) और मशीन रोपाई दोनों के लिए उपयुक्त है. साथ ही, इसकी पौधों की कम ऊंचाई के कारण फसल के गिरने की समस्या भी कम होती है, जिससे उपज का नुकसान रोका जा सकता है. पीआर 126 की उपयोगिता छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में तेजी से बढ़ रही है, जहां इसे किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है. विशेष रूप से उन किसानों के बीच जो धान की कटाई के बाद गेहूं की समय पर बुवाई भी करना चाहते हैं.

स्वर्णा किस्म वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए बेहतर

स्वर्णा (IET 5656), एक ऐसी धान की किस्म है जो 135-140 दिनों की अवधि में पककर तैयार होती है. इसकी मुख्य विशेषताओं में अच्छी उपज क्षमता शामिल है, जिससे किसानों को संतोषजनक पैदावार मिलती है. यह किस्म कम उर्वरक में भी बेहतर उत्पादन देने में सक्षम है, जिससे किसानों की लागत कम होती है. स्वर्णा विशेष रूप से जलभराव और वर्षा आधारित खेती के लिए बहुत उपयोगी है, जहां पानी की उपलब्धता अनिश्चित रहती है. इसी कारण, यह किस्म ओडिशा और झारखंड के वर्षा आधारित क्षेत्रों में किसानों के बीच लंबे समय से एक लोकप्रिय पसंद बनी हुई है.

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