सावन के महीने में फूलों की मांग बढ़ गई है. लोग भगवान शिव को खुश करने के लिए बेलपत्र और तरह-तरह के फूलों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में सावन के महीने में गुलाब के फूलों की मांग भी काफी बढ़ गई है. जिस वजह से गुलाब के फूलों की खेती करने वाले किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. हालांकि गुलाब के फूलों की मांग साल भर रहती है. जिस वजह से किसानों को काफी मुनाफा मिलता है. ऐसे में अगर आप भी गुलाब की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो गुलाब की इस किस्म का चयन कर सकते हैं.
गुलाब की नई किस्म पूसा अल्पना को गुलाब शरबत किस्म के नाम से विकसित किया गया है. इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली द्वारा स्व-परागण (Self-pollination) के माध्यम से बीज से उगाए गए पौधों के समूह से चुनकर विकसित किया गया है. इस किस्म का तीन वर्षों तक निरीक्षण किया गया और इसकी फूल उपज की तुलना गुलाब शरबत किस्म से की गई. गुलाब शरबत की तुलना में पूसा अल्पना किस्म की फूल उपज अधिक पाई गई. पूसा अल्पना के फूल का रंग गुलाबी होता है. यह एक सुगंधित किस्म है. इस किस्म में फूल सर्दियों और बरसात के मौसम में आते हैं. गर्मियों के मौसम में फूल बहुत कम आते हैं. इसलिए किसान बरसात के मौसम में अच्छी कमाई के लिए किसान गुलाब की पूसा अल्पना किस्म का चुनाव कर सकते हैं.
गुलाब एक बारहमासी पौधा है. इसके पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए सही जलवायु का होना बहुत ज़रूरी है. गुलाब के पौधों को रोपने के समय वातावरण ठंडा होना चाहिए. जलवायु के अंतर्गत पौधे की वृद्धि के लिए रौशनी, तापमान, आर्द्रता और कार्बन डाइऑक्साइड का होना बहुत ज़रूरी है.
गुलाब के पौधों की वृद्धि और विकास पर प्रकाश का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है. गुलाब को न तो कम और न ही ज़्यादा प्रकाश की ज़रूरत होती है, लेकिन प्रकाश की तीव्रता ज़्यादा होनी चाहिए. यह पाया गया है कि अगर प्रकाश और तापमान की तीव्रता कम है, तो गुलाब में फूल नहीं आते हैं.
गुलाब के पौधों की वृद्धि और फूल आने पर तापमान का बहुत प्रभाव पड़ता है. इन पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड और बादल छाए रहने पर तापमान 18 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए.
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गुलाब की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. कार्बनिक पदार्थों से भरपूर रेतीली दोमट मिट्टी गुलाब की खेती के लिए सबसे अच्छी पाई जाती है. मिट्टी का pH मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए. चिकनी मिट्टी में गुलाब की खेती नहीं करनी चाहिए. गुलाब के पौधों के लंबे समय तक गुणवत्तापूर्ण फूल उत्पादन के लिए मिट्टी की अच्छी तैयारी बहुत ज़रूरी है. खेत तैयार करते समय पहली जुताई कम से कम 40 से 50 सेमी गहरी करनी चाहिए ताकि मिट्टी की सख्त परत टूट जाए और गुलाब की जड़ें अच्छी तरह से विकसित हो सकें. मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा जानने के लिए मिट्टी की जांच करानी चाहिए. इस जांच के बाद पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्रा के अनुसार मिट्टी में अतिरिक्त खाद जैसे सड़ा हुआ गोबर, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाना चाहिए. मिट्टी में नमक की मात्रा अधिक होने पर शुरू में खेत में कम से कम दो बार पानी भरना चाहिए और कुछ समय बाद पानी निकाल कर मिट्टी को सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए. ऐसा करने से मिट्टी में नमक की मात्रा कम हो जाती है. गुलाब के फूलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए 4 से 5 मीटर चौड़ी और सुविधानुसार लंबी क्यारियां बनानी चाहिए. पौधे लगाने से पहले क्यारियों को गीला कर देना चाहिए.
अच्छी गुणवत्ता वाले फूलों और अधिक उपज के लिए गुलाब को अधिक मात्रा में पोषण की आवश्यकता होती है. सही मात्रा में पोषण प्राप्त करने के लिए समय-समय पर मिट्टी की जांच करवानी चाहिए. पौधों की अच्छी वृद्धि में नाइट्रोजन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. यदि पौधे में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है, तो उसके पत्ते हल्के हरे रंग के हो जाते हैं. गुलाब के पौधे नाइट्रेट के रूप में नाइट्रोजन लेते हैं. पौधों की जड़ों के विकास के लिए फास्फोरस बहुत महत्वपूर्ण पोषक तत्व है. फास्फोरस की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इसे सुपर फॉस्फेट या कैल्शियम फॉस्फेट के रूप में दिया जा सकता है. गुलाब के फूलों की गुणवत्ता बढ़ाने और पाउडरी मिल्ड्यू नामक फफूंद जनित रोग के प्रति सहनशीलता बढ़ाने के लिए पोटाश बहुत उपयोगी है. मैग्नीशियम, मैंगनीज, बोरॉन, सल्फर जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व गुलाब के पौधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. गुलाब के पौधों की वृद्धि और उच्च गुणवत्ता वाले फूलों के उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई के पानी के साथ प्रतिदिन पोषक तत्व दिए जाने चाहिए.
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