इस मॉनसून सीजन में भारत की संचयी वर्षा सरप्लस में रही है, जो दीर्घावधि औसत (LPA) का 101 प्रतिशत है, जो पिछले सप्ताह के 100 प्रतिशत से एक पायदान अधिक है. ये दावा आईसीआईसीआई बैंक ग्लोबल मार्केट्स की एक रिपोर्ट में किया गया है. हालांकि, पूरे देश में बारिश का वितरण असमान बना हुआ है. उत्तर-पश्चिम भारत में 13 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है, उसके बाद दक्षिण भारत में दीर्घावधि औसत से 8 प्रतिशत अधिक और मध्य भारत में दीर्घावधि औसत से 4 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है.
इसके उलट, पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र पिछड़ रहे हैं और यहां 18 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है. 36 मौसम विज्ञान उपखंडों में से 8 में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, 23 में सामान्य बारिश दर्ज की गई है, और चार कम बारिश की श्रेणी में हैं. साप्ताहिक आधार पर बारिश पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 9.5 प्रतिशत अधिक रही. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आने वाले सप्ताह में पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों सहित अच्छी बारिश का अनुमान लगाया है, जहां अब तक सामान्य से कम बारिश हुई है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, देश भर के जलाशयों का जलस्तर भी बेहतर बना हुआ है. 14 अगस्त तक, 150 प्रमुख जलाशयों में जल संग्रहण 135.3 अरब घन मीटर था, जो कुल क्षमता का 74.1 प्रतिशत है. यह पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 9 प्रतिशत अधिक है. क्षेत्रीय स्तर पर, दक्षिणी राज्यों में सबसे ज़्यादा 80 प्रतिशत जल संग्रहण है, उसके बाद पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्रों में 76-76 प्रतिशत, मध्य क्षेत्र में 74 प्रतिशत और पूर्वी क्षेत्र में 55 प्रतिशत जल संग्रहण है. गौरतलब है कि कावेरी नदी बेसिन में सबसे ज्यादा 98 प्रतिशत जल संग्रहण दर्ज किया गया है, जबकि गंगा बेसिन में 72 प्रतिशत जल संग्रहण है.
IMD द्वारा मौसम की दूसरी छमाही में एलपीए के 106 प्रतिशत वर्षा का अनुमान लगाए जाने के साथ, कृषि और जल भंडारण के लिए संभावनाएं सकारात्मक बनी हुई हैं. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अभी भी कमी के अंतर को पाटने का इंतज़ार है.
(सोर्स- ANI)
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