आंध्र प्रदेश के तटीय जिलों में लाखों लोगों की आजीविका का आधार मानी जाने वाली एक्वा फार्मिंग सेक्टर को अमेरिका द्वारा लगाई गई 50% आयात शुल्क से बड़ा नुकसान हुआ है. यह टैरिफ 27 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगा. इस फैसले के बाद किसान, निर्यातक और राज्य के नेता मिलकर केंद्र और राज्य सरकार से तुरंत मदद की मांग कर रहे हैं.
भुवनग्राम में भाजपा जिला कार्यालय में हुई बैठक में, यूनियन मिनिस्टर भूपतिराजु श्रीनिवास वर्मा ने किसानों की समस्याएं सुनीं. किसानों ने कहा कि झींगा के दाम गिर गए हैं, लेकिन चारे की कीमतें जस की तस बनी हुई हैं. साथ ही, उन्हें बिजली पर सब्सिडी की जरूरत है.
मंत्री ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की आर्थिक प्रगति को रोकने के लिए यह टैरिफ लगाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे को सुलझाने में लगे हुए हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के साथ मिलकर सब्सिडी वाली बिजली उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया.
मछली पालन मंत्री ने बताया कि वे निर्यात बाजार को दक्षिण कोरिया, यूरोप, यूके, मध्य पूर्व, रूस और अफ्रीका जैसे देशों में बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. इसके लिए मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (MPEDA) की मदद ली जाएगी. साथ ही, वे मूल्य संवर्धित उत्पादों पर जोर दे रहे हैं और इंडिया-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का लाभ उठाने को कह रहे हैं.
सरकार आंध्र प्रदेश प्रॉन प्रोड्यूसर्स कोऑर्डिनेशन कमिटी भी बनाएगी, ताकि घरेलू बाजार में झींगा की मांग बढ़ाई जा सके.
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने प्राकाशम जिले में पीएम किसान-अन्नदाता सुखिभव योजना के शुभारंभ के दौरान कहा कि यह टैरिफ किसानों के लिए बहुत बड़ा झटका है. सरकार किसानों को बिजली 1.50 रुपये प्रति यूनिट पर दे रही है और वे इस मुद्दे पर किसानों के साथ मिलकर एक कार्य योजना बनाएंगे. उन्होंने मछुआरों के लिए वित्तीय सहायता भी बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दी है, जो पहले 10,000 रुपये थी.
कृषि क्षेत्र के किसान नागाराजू (काईकलुरु) कहते हैं कि 30 एकड़ में झींगा पालन करने की लागत 100 काउंट झींगा के लिए 200 रुपये है, लेकिन उन्हें 150-180 रुपये में बेचने को मजबूर होना पड़ता है. वे कहते हैं कि कोविड के बाद यह टैरिफ भी उनकी तबाही का कारण बन सकता है. अगर किसान हट गए तो इससे जुड़ी अन्य उद्योग भी प्रभावित होंगे.
मौसम की चुनौतियां, बीज की गुणवत्ता में उतार-चढ़ाव और घटते मुनाफे के बीच, आंध्र प्रदेश का यह फिश फार्मिंग सेक्टर लाखों लोगों की रोज़गार की गारंटी है. अगर सरकार ने तुरंत राहत और बाजार के नए रास्ते न बनाए, तो यह क्षेत्र गंभीर संकट में पड़ सकता है.
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