केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जानकारी दी कि गुजरात में दूध की खरीद में 5 गुना उछाल दर्ज किया गया है. वर्ष 2001-02 में जहां रोजाना 50 लाख लीटर दूध खरीदा जाता था, वहीं अब यह बढ़कर 2024-25 में 250 लाख लीटर प्रतिदिन तक पहुंच गया है. इससे न सिर्फ डेयरी किसानों की आमदनी में इजाफा हुआ है, बल्कि पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस भी काफी घटा है. वहीं, अमित शाह ने बताया कि पिछले 15 वर्षों में किसानों को मिलने वाली दूध की कीमतों में 140 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पहले जहां किसानों को औसतन 400 रुपये प्रति किलो फैट मिलते थे, वहीं अब यह बढ़कर 950 रुपये प्रति किलो फैट हो गया है. इस बढ़ोतरी से दुग्ध संघों की चिलिंग और प्रोसेसिंग क्षमता को भी मजबूती मिली है.
पीटीआई के मुताबिक, शाह ने जानकारी दी कि दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए गुजरात को कई सरकारी योजनाओं का फायदा मिला है. नेशनल प्रोग्राम फॉर डेयरी डेवलपमेंट (NPDD), डेयरी प्रोसेसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (DIDF) और एनिमल हजबेंडरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (AHIDF) ने मिलकर आधुनिक ढांचे, नस्ल सुधार और चारा विकास में अहम योगदान दिया है.
पिछले सात सालों में NPDD के तहत राज्य को 315 करोड़ रुपये की ग्रांट मिली, जिससे हजारों बल्क मिल्क कूलर, ऑटोमैटिक कलेक्शन सिस्टम और मिलावट जांच मशीनें स्थापित की गईं. वर्तमान में अमूल (GCMMF) अपने 18 जिला संघों और 36 लाख से अधिक सदस्यों के नेटवर्क के जरिए रोज़ाना 250 लाख लीटर दूध की खरीद करता है. यह नेटवर्क गुजरात को देश का सर्वश्रेष्ठ दूध उत्पादक राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर कर रहा है.
वहीं, पीआईबी पर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि सहकारिता मंत्रालय ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को स्थानीय स्तर पर किसानों के लिए वन-स्टॉप सर्विस सेंटर बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं. इन्हें पीएम-किसान, पीएम फसल बीमा, जन औषधि, सीएससी, पेट्रोल-डीजल आउटलेट और एलपीजी वितरण जैसी विभिन्न योजनाओं और सेवाओं से जोड़ा जा रहा है.
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