एक ओर जहां पूरा देश 15 अगस्त को 79वें स्वतंत्रता दिवस पर आजादी का जश्न मना रहा था, वहीं दूसरी ओर नासिक की येवला तहसील में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में किसान परिवार के सदस्यों ने खुद पर केरोसीन (मिट्टी का तेल) छिड़क कर आग लगाने की कोशिश की. वहीं, एक अन्य घटनाक्रम में बुलढाणा में किसान अपनी मांगों के लिए पूर्णा नदी में आंदोलन कर रहे थे. आंदोलन के दौरान एक किसान ने नदी में छलांग लगा दी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. नदी में बहे किसान की तलाश जारी है. दाेनों घटनाओं के बारे में विस्तार से जानिए…
नासिक ज़िले में शुक्रवार को येवला तहसील कार्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान एक किसान परिवार के कई सदस्यों ने अपने खेत तक जाने वाली सड़क के लिए कथित सरकारी उदासीनता के विरोध में अपनी जान देने की कोशिश की. पीटीआई के मुताबिक, येवला के पारेगांव निवासी संजय पाठे, विजय पाठे, सुलभा पाठे और जवाहरलाल भोसले ने मिट्टी का तेल डालकर खुद को आग लगाने की कोशिश की. हालांकि, पुलिसकर्मियों और कार्यक्रम में मौजूद अन्य लोगों ने उन्हें रोक लिया. ये सभी एक-दूसरे के रिश्तेदार हैं.
सुलभा पाठे ने कहा, "तहसीलदार द्वारा खोली गई सड़क में एक बड़ा गड्ढा हो गया है, जिसकी वजह से हमारे खेत तक पहुंचने का रास्ता बंद हो गया है. यही सड़क हमारे खेत तक जाने वाली एकमात्र सड़क है. हमें गड्ढे भरने और सड़क का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा रही है. दूसरे परिवार की महिलाएं भी हमारा रास्ता रोक रही हैं. हमारे पास जीविकोपार्जन का कोई और साधन नहीं है. न्याय न मिलने के कारण, हमने आज अपनी जान देने की कोशिश की."
अधिकारी ने बताया कि पड़ोसी परिवार ने सड़क को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे पाथे समुदाय के लोगों को परेशानी हो रही है. उन्होंने आगे कहा, "येवला के तहसीलदार आबा महाजन ने तुरंत सड़क खोलने और मामले की जांच कर समस्या का समाधान करने के आदेश दिए हैं."
वहीं, बुलढाणा जिले के अडोल खुर्द के ग्रामीणों ने करणवाड़ी से अडोल खुर्द गांव तक सड़क बनाने के लिए बुलढाणा जिले के जिगांव सिंचाई प्रकल्प पर जल समाधि आंदोलन किया. आंदोलन शुरू होने के कुछ देर बाद विनोद पवार नामक किसान ने पूर्णा नदी में छलांग लगा दी और पानी के तेज बहाव में बह गया.
रास्ते के लिए शुरू इस आंदोलन में किसान नदी में बह जाने के कारण आंदोलन आक्रामक हो गया. किसान की पूर्णा नदी में खोज की जा रही है. किसान विनोद पवार ने कूदने से पहले अपनी प्रतिक्रिया भी रिकॉर्ड की थी, जिसमे उसने बताया कि जो रास्ता पहले पारित किया गया था, उसे अफसरों ने मिलीभगत कर दूसरी ओर मोड़ दिया है. (बुलढाणा से अभिजित का इनपुट)
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