पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले साल 52 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा था जिसके मुकाबले करीब 50 लाख टन यानी लगभग 96 प्रतिशत ही खरीद पाई थी. वहीं इस साल भी धान की खरीदारी करने में राज्य पिछड़ रहा है. दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार ने इस सीजन में अब तक लगभग 26 लाख टन धान की खरीद की है, जो 55 लाख टन की लक्षित खरीद का लगभग 47 प्रतिशत है. वहीं राज्य में इस सीजन में अब तक धान की खरीद जो सुस्त रही है, उसमें और मंदी देखी जा सकती है, क्योंकि खुले बाजार में कीमतें राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लगभग बराबर हैं. नतीजतन, किसान अपनी उपज को खुले बाजार में बेच रहे हैं और एमएसपी पर बेचने से बच रहे हैं.
खबरों के अनुसार, राज्य सरकार ने इस सीजन में अब तक लगभग 26 लाख टन धान की खरीद की है, जो 55 लाख टन की लक्षित खरीद का लगभग 47 प्रतिशत है. हालांकि, राज्य सरकार को इस साल अपने खरीद लक्ष्य को पूरा करने का भरोसा है. पश्चिम बंगाल के कृषि मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने हाल ही में एक कार्यक्रम के मौके पर बिजनेसलाइन को बताया, "खरीद पूरी गति से हो रही है और हम लक्ष्य हासिल करने के प्रति आश्वस्त हैं."
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पश्चिम बंगाल सरकार धान की खरीद बढ़ाने के लिए कुछ प्रमुख चावल उत्पादक जिलों में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को शामिल कर सकता है. पश्चिम बंगाल में खरीफ, बोरो और रबी सहित तीन मौसमों में करीब 240 लाख टन धान का उत्पादन करता है.
पश्चिम बंगाल में खुले बाजार में धान की कीमत वर्तमान में लगभग 1,950 से 1960 रुपये प्रति क्विंटल है और सरकारी खरीद मूल्य 2,060 रुपये के करीब है. वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश में धान की उपज प्रभावित होने की वजह सप्लाई में कमी आई है, जिससे बेहतर कीमतों की उम्मीद बढ़ रही है.
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बंगाल राइस मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार चौधरी ने कहा, राज्य सरकार का अनुमान है कि इस वर्ष 55 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले अब तक लगभग 30 लाख टन धान की खरीद की जा चुकी है. अभी खरीद में समय है, लेकिन मौजूदा समय में खुले बाजार में भाव सरकारी खरीद मूल्य के करीब है. यह कुछ हद तक सरकारी खरीद को धीमा कर सकता है, क्योंकि किसान खुले बाजार में बिक्री करना पसंद कर सकते हैं.
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