यहां बैलों को खिलाते हैं घी, काजू-किशमिश और बादाम, तब जाकर होती है बैलगाड़ी रेस

यहां बैलों को खिलाते हैं घी, काजू-किशमिश और बादाम, तब जाकर होती है बैलगाड़ी रेस

दौड़ में शामिल होने आए किसानों ने बताया कि आज के इस मशीनी युग में यह दौड़ किसानों और बैलों के बीच लगाव जगाने के लिए आयोजित की जाती है. एक किसान आदित्य त्रिपाठी ने कहा कि इस अनोखी बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता में 12 बैलगाड़ियां शामिल हुई थीं जिनमें से सेमी फाइनल में कुल चार बैलगाड़ियां जगह बना पाई थीं.

Advertisement
यहां बैलों को खिलाते हैं घी, काजू-किशमिश और बादाम, तब जाकर होती है बैलगाड़ी रेसहमीरपुर में बैलगाड़ी दौड़ आयोजित की गई

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में बैलगाड़ियों की अनोखी रेस होती है. यह रेस हमीरपुर में आयोजित की जाती है. इस रेस को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. हर साल की तरह इस बार भी यह रेस आयोजित की गई. दो दिन पहले हमीरपुर में बैलगाड़ियों की फाइनल रेस थी जिसमें चार बैलगाड़ी शामिल हुई. बैलों की भागमभाग और इस मुकाबले ने रेस को रोमांचक बना दिया. लोग दांतों तले उंगली दबाए रेस देखते रहे. इस बैलगाड़ी दौड़ में युवाओं का उत्साह भी देखने लायक था. सैकड़ों मोटर साइकिलों में सवार युवा बैलगाड़ी चालकों का उत्साह बढ़ाते हुए बाइकें भगाते हुए देखे गए. किसानों ने बताया कि वे अपने बैलों को दूध में काजू, किशमिस, बादाम मिलाकर पिलाते हैं, तब जाकर बैल रेस के लिए तैयार होते हैं.

बैलगाड़ी दौड़ में भाग ले रहे किसान सोना पहलवान ने बताया कि वे अपने बैलों को घी, दूध के साथ काजू, किसमिस और बादाम खिलाते हैं. बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में इस अनोखी बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन पिछले 45 वर्षों से किया जा रहा है जिसमें बुंदेलखंड के सभी सात जिले बांदा, चित्रकूट, महोबा, जालौन, झांसी, ललितपुर और हमीरपुर के किसान भाग लेते हैं. 

ये भी पढ़ें: UP: रामपुर में साठा धान पर लगा प्रति‍बंध, पीलीभीत का ग‍िरता भूजल स्तर बना वजह

इन सभी जिलों के किसानों की बैलगाड़ियां इस दौड़ में भाग लेने के लिए आती हैं. इस साल भी जिले के मौदहा कस्बे में गुरुवार को इस अनोखी दौड़ का आयोजन किया गया. इस दौड़ में शामिल होने आए किसानों ने बताया कि आज के इस मशीनी युग में यह दौड़ किसानों और बैलों के बीच लगाव जगाने के लिए आयोजित की जाती है. एक किसान आदित्य त्रिपाठी ने कहा कि इस अनोखी बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता में 12 बैलगाड़ियां शामिल हुई थीं जिनमें से सेमी फाइनल में कुल चार बैलगाड़ियां जगह बना पाई थीं. इन चारों बैलगाड़ियों ने फाइनल दौड़ में भाग लिया था.

ये भी पढ़ें: कपास के दामों में आ सकता है उछाल, अप्रैल में 11000 रुपये क्व‍िंटल तक जा सकता है भाव!

आयोजन कमेटी ने इस अनोखी बैल दौड़ प्रतियोगिता में पहला, दूसरा और तीसरा स्थान पाने वाले किसानों को शील्ड, घड़ी और बड़े-बड़े कूलर इनाम में दिए हैं. आयोजन कमेटी के अध्यक्ष संजय दीक्षित ने बताया कि इस आयोजन से किसानों और बैलों के बीच दूरी कम होगी और अगर 25 फीसद किसान फिर से बैलों से खेती शुरू कर दें, तो इससे छुट्टा जानवरों की प्रथा पर भी रोक लग सकेगी. बाकी आयोजकों ने बताया कि आज के मशीनी युग में किसानों का जानवरों से मोह भंग होता जा रहा है, उसे जिंदा रखने के लिए बीते 45 साल से हम यह आयोजन करते चले आ रहे हैं, जो अब हमारी परंपरा में शामिल हो गया है.(रिपोर्ट/नाहिद अंसारी)

POST A COMMENT