गुजरात में राजकोट के किसान आजकल बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं. उनकी परेशानी ये है कि सरकार इस घोर ठंड में खेती-किसानी के लिए रात में बिजली दे रही है. किसानों की शिकायत है कि ठंड में वे खुद को बचाने के लिए घर में रहें या खेत में जाएं, उन्हें समझ में नहीं आ रहा है. किसानों की शिकायत है कि ठंड से परेशानी तो है ही, आवारा जानवर भी कब उन पर हमला कर दें, इसका कोई भरोसा नहीं. ऐसे में सरकार बिजली दिन में दे ताकि फसलों को पानी देने का काम दिन-दिन में ही निपट जाए. लेकिन दिन में बिजली नहीं मिलने से किसान विरोध पर उतर आए हैं. राजकोट के किसानों ने एक अनोखे तरीके से विरोध प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचा.
ये शिकायत राजकोट के उपलेटा पंथक के किसानों की है. किसानों का ऐसा कहना है कि रात में बिजली आने से उन्हें मजबूरी में सिंचाई जैसे काम के लिए खेतों में रात में रुकना पड़ता है. इससे जंगली जानवरों के हमले के साथ ठंड लगने का खतरा बना रहता है. ठंड से किसानों की मौत भी हो चुकी है. इस डर में राजकोट के उपलेटा पंथक के किसान खेती-बाड़ी से मन खींच रहे हैं. उनका कहना है कि खेती-बाड़ी का काम सुबह में अच्छा होता है और काम भी अधिक निकलता है. लेकिन जब सुबह में बिजली ही नहीं मिलेगी, तो वे जाकर क्या करेंगे.
सरकार ने सिंचाई जैसे काम के लिए किसान सूर्योदय योजना निकाली थी जिसमें किसानों को दिन में बिजली दी जाती थी. पर यह योजना तीन महीने से कम चली और किसानों को दिन में बिजली मिलना बंद हो गया. गुजरात के कई किसानों ने प्रशासन में कलेक्टर, PGVCL, UGVCL समेत अलग-अलग सरकारीं विभागों में ज्ञापन दिया और दिन में बिजली देने की मांग की. किसानों की शिकायत है कि ज्ञापन और अनुरोध पत्र दिए जाने के बाद भी उनकी फरियाद नहीं सुनी गई. प्रशासन ने दिन में बिजली देने का काम शुरू नहीं कराया.
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राजकोट के किसान एक और तर्क दे रहे हैं. उनका कहना है कि राजकोट के स्कूल में ठंड से एक बच्ची की मौत हो गई. इसके तुरंत बाद प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए स्कूल की टाइमिंग आठ बजे से कर दी. लेकिन किसान बेचारे कई दिनों से परेशान हैं, तब भी उनकी नहीं सुनी जा रही है. ठंड से किसान की मौत हो रही है, जंगली जानवरों के हमले का डर बना हुआ है. इसके बावजूद सरकार दिन में बिजली न देकर रात को सप्लाई कर रही है. फरियाद लगाते-लगाते वे थक गए हैं. अंत में उन्होंने एक अनोखे तरह का विरोध प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
कुछ किसान अपने खेतों में जमा हुए और चारपाई पर बिजली का शव रखा. जैसे अंतिम यात्रा में लोग रोते हैं और दुख प्रकट करते हैं, किसानों ने ठीक वैसा ही अपने खेतों में किया. किसान इस शव यात्रा के जरिये ये संदेश देना चाह रहे थे कि बिजली की प्राण चली गई है, इसलिए उसकी अंतिम यात्रा निकाली जा रही है. संदेश साफ है कि किसानों को बिजली नहीं मिल रही है, या बिना समय मिल रही है, इसका अर्थ है उसका अस्तित्व नहीं बचा. किसानों का कहना है कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन के सिवा उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं बचा.
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ऐसे में, उपलेटा पंथक के इन किसानों ने दिन में बिजली गुल होने की अंतिम यात्रा निकाली और अनोखे अंदाज में उन्होंने सरकार के सामने अपनी मांग रखी. मांग में इस पंथक के किसानों ने दिन में बिजली देने की मांग की. उपलेटा तालुका पंचायत के पूर्व अध्यक्ष ने भी सरकार से मांग की है कि गुजरात के किसानों को दिन में बिजली मिलनी चाहिए.(रिपोर्ट/तेजस शिशंगिया)
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