Green Fodder: बरसात में पशुओं को खिलाएं ये हरे चारे, नहीं बिगड़ेगी तबियत, पढ़ें डिटेल Green Fodder: बरसात में पशुओं को खिलाएं ये हरे चारे, नहीं बिगड़ेगी तबियत, पढ़ें डिटेल
Green Fodder for Monsoon केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार के रिटायर्ड प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने किसान तक को बताया कि खासतौर पर बरसात के दिनों में पहले से स्टोर करके रखी गई बरसीम, ओट और चरी खाने को दी जा सकती है. ये वो हरे चारे हैं जिससे पशुओं का दूध उत्पादन भी बढ़ता है.
Pusa Advisory: ग्वार, मक्का, बाजरा की बुवाईनासिर हुसैन - New Delhi,
- Aug 07, 2025,
- Updated Aug 07, 2025, 4:35 PM IST
Green Fodder for Monsoon पशुओं को क्या खिलाएं और क्या नहीं, बरसात के दिनों में पशुपालकों की ये सबसे बड़ी परेशानी है. हालांकि मॉनसून के इस मौसम में जहां भी नजर घुमाओं वहां हरा चारा ही नजर आता है. खेत, चारागाह और खुले मैदान में कहीं भी हरे चारे की कोई कमी नहीं होती है. लेकिन असल परेशानी तो यही है कि इस चारे को सीधे तौर पर पशुओं को खिला नहीं सकते हैं. और दूसरी बात ये कि एनिमल एक्सपर्ट ऐहतियात के तौर पर बरसात के दिनों में पशुओं को बाहर ले जाने की सलाह भी नहीं देते हैं.
बरसात के लिए कैसे तैयार करें हरा चारा
- हरा चारा स्टोर करने के लिए पतले तने वाली फसल चुनें.
- चारे के लिए पतले तने वाली फसल जल्दी सूखती है.
- किसी भी फसल को ज्यादा लम्बे वक्त तक न सुखाएं.
- लम्बे वक्त तक सुखाने से चारे में फंगस लगने लगता है.
- चारे की जिस फसल को स्टोर करना है उसे पकने से कुछ दिन पहले काट लें.
- चारे की फसल को कभी भी जमीन पर रखकर न सुखाएं.
- चारा सुखाने के लिए जमीन से कुछ ऊंचाई पर जाली रखकर चारा रख दें.
- जमीन भी गीली हो तो चारे को लटका कर सुखाया जा सकता है.
- जमीन पर चारा रखने से उस पर मिट्टी लग सकती है.
- नमी के दौरान चारे पर लगी मिट्टी फंगस की वजह बन सकती है.
- चारे में 15 से 18 फीसद नमी रह जाए तो उसे सूखी जगह पर रख दें.
- चारे का तना टूटने लगे तो समझ जाएं कि चारा सूख चुका है.
- अगर चारे में नमी ज्यादा रह गई तो उसमे फंगस लग सकता है.
- खराब चारे को पशु ने खा लिया तो वो बीमार हो जाएगा.
निष्कर्ष-
बरसीम, ओट और चरी पतले तने वाली चारे की फसल हैं. इन्हें सुखाना और स्टोर करना आसान होता है. किसी भी चारे की फसल को स्टोर करते वक्त इस बात का ख्याल रखा जाए कि स्टोर किए जा रहे चारे की मात्रा उतनी ही हो कि जो नया चारा आने से पहले खत्म हो जाए.
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