अक्सर बच्चे जिद करते हैं कि उन्हें चॉकलेट खानी है. वहीं माँ-बाप का एक ही रटा-रटाया जवाब होता है कि नहीं, चॉकलेट ज्यादा नहीं खाते वर्ना दांत खराब हो जाएंगे. लेकिन हम जिस चॉकलेट बार के बारे में आपको बताने जा रहे हैं तो उसके गुण ऐसे हैं कि माँ-बाप बच्चों के सामने जिद करेंगे कि बेटा खा लो, प्लीज चॉकलेट खा लो. आपको बता दें कि इस चॉकलेट बार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश ने बनाया है. ये खास चॉकलेट बार स्वाद में तो चॉकलेट जैसी है ही, साथ में ये पेट भरने के साथ-साथ शरीर में खून और प्रोटीन की कमी को भी पूरा करती है.
आईएचबीटी के साइंटिस्ट का दावा है कि बड़ी संख्या में बच्चों में कुपोषण और महिलाओं में खून की कमी के मामले सामने आते हैं. इतना ही नहीं बहुत सारे लोगों में प्रोटीन की कमी के चलते भी कई तरह की परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. इसी को देखते हुए हमने पांच तरह की चॉकलेट बार तैयार की है. ये एक चॉकलेट बार एक कटोरी दाल और दो रोटी की जरूरत को पूरा करती है. इस बार को खाने के बाद बहुत सारे बच्चों में कुपोषण तो महिलाओं में खून की कमी दूर हुई है.
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आईएचबीटी के साइंटिस्ट डॉ. विद्या शंकर ने किसान तक को बताया कि सभी पांच तरह की बार बनाने के लिए हिमालय में मिलने वाले मेडिशनल प्लांट, हिमाचल प्रदेश में मौसम के हिसाब से होने वाली फसलें, दाल, जौ, वक बीट और मिलेट का इस्तेमाल किया गया है. आईएचबीटी के साइंटिस्ट का कहना है कि इस बार को बनाने में हिमाचल में होने वाले अनाज को ही इस्तेामाल किया गया है. लेकिन अगर कोई दूसरे राज्य में इसे बनाता है तो वहां होने वाले अनाज और दूसरी चीजों को देखते हुए इसका फार्मूला तैयार कर दिया जाता है.
साइंटिस्ट डॉ. विद्या शंकर ने बताया कि मॉल न्यूट्रीशन दो तरह का होता है. एक अंडर न्यूट्रीशन और दूसरा ओवर न्यूट्रीशन. इसी को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने पांच अलग-अलग तरह की पांच चॉकलेट बार बनाई हैं. यह बार हमारे शरीर को दिनभर में जितने पोषक तत्वों की जरूरत होती है उसके 25 फीसद हिस्से को पूरा करती हैं. ये पांच बार हैं आयरन एंड जिंक वाली एनर्जी बार, प्रोटीन एंड फाइबार वाली मल्टीग्रेन बार, आयरन एंड कैल्शिययम बार, मल्टीग्रेन प्रोटीन मिक्स बार और मल्टीग्रेन एनर्जी बार हैं.
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डॉ. विद्या शंकर ने बताया कि देश के अलग-अलग राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक, दिल्ली , मुम्बई, तमिलनाडू, यूपी और हिमाचल प्रदेश में बार बनाने की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की गई है. कई बार प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हम 200 मीट्रिक टन से ज्यादा बार हम पीड़ितों के बीच में बांट चुके हैं. इस बार को एफएसएसएआई जैसी एजेंसी एनओसी भी दे चुकी हैं. इस 40 ग्राम एक बार की कीमत 20 से 30 रुपये है. इसे बच्चे और बड़े सभी खा सकते हैं.
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