ब्रिटेन के जरिए डोनाल्ड ट्रंप को कड़ा संदेश, सिर्फ अमेरिकी बाजार का मोहताज नहीं है भारत 

ब्रिटेन के जरिए डोनाल्ड ट्रंप को कड़ा संदेश, सिर्फ अमेरिकी बाजार का मोहताज नहीं है भारत 

India UK FTA: भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता किसी जल्दबाजी वाली समय-सीमा या जबरदस्त आर्थिक दबाव से नहीं, बल्कि धैर्यपूर्ण कूटनीति और एक-दूसरे की सीमाओं के प्रति आपसी सम्मान से जन्मा था. भारत और यूके के बीच ट्रेड डील पर बातचीत पूरे तीन साल तक चली थी. साल 2022 में शुरू हुई वार्ता मई 2025 में अपने अंजाम पर पहुंच सकी.

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ब्रिटेन के जरिए डोनाल्ड ट्रंप को कड़ा संदेश, सिर्फ अमेरिकी बाजार का मोहताज नहीं है भारत India UK FTA: भारत और यूके बीच आखिरकार हकीकत बना FTA

भारत और यूके के बीच पिछले दिनों फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी एफटीए साइन हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को चौथी बार आधिकारिक दौरे पर ब्रिटेन पहुंच. इस मौके को उन्‍होंने एफटीए साइन करके और ऐतिहासिक बना दिया. यूके के पीएम कीर स्‍टारमर के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने चेकर्स में डील को ऐसे समय में साइन किया है जब अमेरिका के साथ एक ट्रेड डील पर चर्चा जारी है. अमेरिका से एक टीम अब अगले हफ्ते भारत आएगी और एक बार फिर ट्रेड डील को लेकर रस्‍साकसी शुरू हो जाएगी. यूके के साथ डील अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और उनके प्रशासन के लिए एक बड़ा सबक भी है. 

तीन साल तक चली वार्ता 

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता किसी जल्दबाजी वाली समय-सीमा या जबरदस्त आर्थिक दबाव से नहीं, बल्कि धैर्यपूर्ण कूटनीति और एक-दूसरे की सीमाओं के प्रति आपसी सम्मान से जन्मा था. भारत और यूके के बीच ट्रेड डील पर बातचीत पूरे तीन साल तक चली थी. साल 2022 में शुरू हुई वार्ता मई 2025 में अपने अंजाम पर पहुंच सकी. इस बीच दोनों देशों ने आम चुनावों का दौर भी देखा. यूके के पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन से लेकर ऋषि सुनक तक सबने इस एफटीए को सफल अंजाम तक ले जाने के लिए कोशिशें जारी रखीं. 

साल जॉनसन ने महत्वाकांक्षी रूप से घोषणा की कि समझौता दिवाली 2022 तक पूरा हो जाएगा. वह समय-सीमा आई और चली गई. इसके बाद 14 राउंड की वार्ता हुई, जिनमें से हर बार कोई न कोई जटिल मसला सामने आता रहा. ब्रिटेन की शराब पर टैरिफ में कटौती की मांग और भारत के अपने स्किल्‍ड प्रोफेशनल्‍स के लिए आसान वीजा व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा संरक्षण की मांग, एक बार को तो लगा कि ट्रेड डील सही अंजाम तक नहीं पहुंच जाएगी. 

किसी भी मामूली समझौते पर जोर देने के बजाय, दोनों पक्षों ने एक संतुलित और स्थायी समझौते पर पहुंचने के लिए जरूरी समय लेने का फैसला किया. नेतृत्व परिवर्तन - भारत में मोदी के फिर से जीतने और ब्रिटेन में कीर स्टारमर की जीत- के बाद ही वार्ता को नई राजनीतिक इच्छाशक्ति मिली और जनवरी 2025 में फिर से गति मिली.  सिर्फ चार महीने बाद, एक समझौता हुआ. 

टैरिफ धमकियों से बेअसर 

वहीं दूसरी तरफ इससे अलग ट्रेड डील के लिए ट्रंप प्रशासन का दृष्टिकोण टैरिफ की धमकियों और समय-सीमाओं पर ही टिका हुआ सा नजर आने लगा है. भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड पहले ही पांच दौर से गुजर चुकी है और छठा दौर नई दिल्ली में होने वाला है. 9 जुलाई की पहली समय-सीमा खत्‍म हो चुकी है. दूसरी, 1 अगस्त, भी बिना किसी समझौते के बीत जाने की संभावना है.  विश्लेषकों की मानें तो भारत के लिए अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने का मौका एक अगस्त को खत्‍म हो रहा है और टैरिफ के 26 फीसदी तक बढ़ने के आसार हैं लेकिन ऐसा लगता है कि नई दिल्ली को इस समय सीमा से कोई असर नहीं पड़ता है. 

भारत ने दिया बड़ा संदेश 

भारत और यूके के बीच एफटीए से पहले अमेरिका और जापान के बीच एक व्यापार समझौता साइन हुआ है. इसमें अमेरिकी ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों के लिए बाजार में पहुंच के मसलों पर चर्चा की गई. जापान की तरह, भारत ने भी अपने स्थानीय किसानों, जो एक बड़ा मतदाता समूह हैं, की रक्षा के लिए अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए बाजार में व्यापक पहुंच का विरोध किया है. ब्रिटेन के साथ हुए अपने व्यापार समझौते में, भारत अपने सबसे संवेदनशील कृषि क्षेत्रों को टैरिफ रियायतों से बचाने में कामयाब रहा. ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष समीप शास्त्री ने एक न्‍यूज चैनल ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते ने अमेरिका समेत सभी पश्चिमी ताकतों को एक संकेत दिया है कि नई दिल्ली अपनी शर्तों पर व्यापार करने में सक्षम है. 

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