मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाने का रिवाज है. लेकिन इस बार कुछ भ्रम की स्थिति बनी है. कुछ लोग 14 जनवरी को तो कुछ लोग इसे 15 जनवरी को मनाने की तैयारी में हैं. इसलिए मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) को लेकर लोगों में एक भ्रम की स्थिति है. यह भ्रम इसलिए भी गंभीर हो जाती है क्योंकि इस दिन घर में विधिवत पूजा-पाठ होती है. घरों में कुल देवता या कुल देवी की पूजा के साथ ही सूर्य की पूजा होती है. तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं. कई जगह गंगा स्नान करने और दान देने का भी चलन है. ऐसे में लोगों को पता नहीं चल रहा कि वे पूजा-पाठ 14 जनवरी को करें या 15 जनवरी को.
आखिर दिन को लेकर भ्रम क्यों है, यह भी जान लेते हैं. 14 जनवरी को शनिवार और 15 जनवरी को रविवार है. चूंकि रविवार सूर्य का दिन माना जाता है, इसलिए लोग रविवार 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) मनाने में अधिक भरोसा जता रहे हैं. इससे अच्छी बात क्या हो सकती है कि सूर्य के विशेष दिन पर ही उनकी पूजा की जाए. ऐसी मान्यता है कि सूर्य की पूजा रविवार के दिन शिव पूजन के साथ की जाए तो उसका अलग ही महत्व है. रविवार को मकर संक्रांति मनाने के पीछे इसी महत्व का जिक्र किया जा रहा है.
अब ये भी जान लेते हैं कि कुछ लोग शनिवार को मकर संक्रांति मनाने की दलील क्यों दे रहे हैं. दरअसल, मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) पर तील और गुड़ का दान, उससे बने लड्डू चढ़ाने और खाने का चलन है. इसे शुभ माना जाता है. शनिवार का दिन शनि भगवान के लिए महत्वपूर्ण है और उन्हें तिल-गुड़ का अर्पण किया जाता है. यही वजह है कि लोग शनिवार 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाते हुए शनिदेव को तिल और गुड़ का प्रसाद चढ़ाना चाहते हैं. ऐसे लोग शनिवार को ही मकर संक्रांति मनाने पर भरोसा करते हैं. शनिवार को तिल चढ़ाया जाता है और तिल के तेल दिए जलाए जाते हैं. उसी तरह मकर संक्रांति के दिन लोग तिल का तेल और उसका उबटन लगाकर स्नान करते हैं और फिर सूर्य देव की पूजा करते हैं.
ऊपर बताए गई पूजा के अनुसार लोग सूर्य देव को मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) पर प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं. हालांकि कुछ ऐसे काम भी हैं जिसकी मनाही होती है. ऐसे काम से बचना चाहिए क्योंकि इससे बने हुए काम बिगड़ सकते हैं. मान्यता के अनुसार, जब मकर संक्रांति को योग लग जाए तो दांत साफ करना, किसी को कठोर वचन बोलना, पेड़ या घास काटना आदि से बचना चाहिए. ऐसा करना संक्रांति के दिन वर्जित है. मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है.
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दूसरी ओर, मकर संक्रांति पर सूर्य देव का आशीर्वाद चाहिए तो नीम के दातुन से मुंह धोना, नए बर्तन, वस्त्र, अन्न, तिल, गुड़, गाय, घोड़ा, सुवर्ण और जमीन का दान श्रेष्ठ माना गया है. ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन बिना स्नान किए भोजन करने से भी मनाही है. स्नान के बाद गायत्री मंत्र की आराधना और अपने गुरु की पूजा को श्रेष्ठ माना गया है.
14 जनवरी को जो लोग मकर संक्रांति मनाना चाहते हैं उन्हें इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि खरमास बीत गया हो, तभी पूजा या शुभ कार्य होना चाहिए. खरमास में किसी तरह के शुभ कार्य से मनाही रहती है. 16 दिसंबर 2022 से शुरू हुआ खरमास 14 जनवरी तक है. 14 जनवरी 2023 दिन शनिवार को रात 8 बजकर 57 मिनट पर सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर में प्रवेश करेंगे जिसके बाद खरमास समाप्त हो जाएगा. इसी के बाद मकर संक्रांति की पूजा की जा सकेगी. जो लोग तिथि बदलने पर अगले दिन पूजा करना चाहते हैं, वे रविवार को मकर संक्रांति मनाएंगे.
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