विकसित भारत-2047: पोल्ट्री सेक्टर की राह में रोड़ा बनेगा मक्का, जानें वजह 

विकसित भारत-2047: पोल्ट्री सेक्टर की राह में रोड़ा बनेगा मक्का, जानें वजह 

बाजार में मक्का के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी 14-15 सौ रुपये से भी ऊपर बिक रही है. उस पर भी सबसे बड़ी परेशानी ये है कि बाजार में मक्का की कमी महसूस होने लगी है. जिसका असर आगे चलकर पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडे और चिकन के रेट पर भी पड़ेगा. साथ ही एक्सपोर्ट में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. 

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विकसित भारत-2047: पोल्ट्री सेक्टर की राह में रोड़ा बनेगा मक्का, जानें वजह  जानिए मक्के का मंडी भाव

कई छोटे-बड़े मौकों पर पीएम नरेन्द्र मोदी विजन 2047 की बात करते हैं. उनका कहना है कि 2047 तक देश विकसित भारत के रूप में उभरेगा. एक्सपर्ट का मानना है कि इसमे पोल्ट्री सेक्टर भी बड़ा रोल अदा करेगा. क्योंकि पोल्ट्री एक्सपर्ट का दावा कि दूसरे कारोबारी सेक्टर के मुकाबले पोल्ट्री तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर बन गया है. लेकिन, वहीं दूसरी ओर एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार के इस विजन में मक्का रोड़ा बन रहा है. ये सुनने में बेशक अजीब लग रहा है हो, लेकिन पोल्ट्री सेक्टर में मक्का का अहम रोल है. 

आज मक्का के रेट और उसकी कमी ने पोल्ट्री सेक्टर के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. बुधवार को ही एक बार फिर मक्का की एमएसपी के दाम में इजाफा हुआ है. हालांकि इस वक्त देशभर में मक्का एमएसपी से भी ऊंचे दाम पर बिक रही है. पोल्ट्री सेक्टर से जुड़ी कई बड़ी एसोसिएशन लगातार सरकार के सामने इस हालत से निपटने के लिए गुहार लगा रही हैं. कई सुझाव भी सरकार को दिए हैं. 

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पहले से महंगा था अब और महंगा हो जाएगा मक्का 

एक बार फिर मक्का की एमएसपी बढ़ने के बारे में पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने किसान तक को बताया कि पहले से ही देश में मक्का एमएसपी के तय रेट से भी महंगा बिक रहा है. अब जब एक बार फिर एमएसपी बढ़ गई है तो इसका भी सीधा असर पोल्ट्री कारोबारियों पर ही पड़ेगा. पोल्ट्री फीड महंगा हो जाएगा. बीते एक साल में ही पोल्ट्री फीड 35 से 40 रुपये किलो पर आ गया है. मेरे हिसाब से तो सरकार को विजन 2047 को भी ध्यान में रखते हुए मक्का के संबंध में जरूरी कदम उठाने चाहिए. 

इथेनॉल के लिए तय हो मक्का का कोटा

रिकी थापर ने किसान तक से कहा कि मक्का का एक बड़ा हिस्सा करीब 60 से 65 फीसद पोल्ट्री में इस्तेमाल होता है. दूसरे नंबर पर इथेनॉल के लिए जा रहा है. इसलिए सरकार को चाहिए कि वो इथेनॉल के लिए मक्का का कोटा निर्धारित करें. साथ ही मक्का इंपोर्ट करने की अनुमति दी जाए. जैसे साल 2022 में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सोयाबीन इंपोर्ट की गई थी. क्योंकि अगर जल्द ही पोल्ट्री के भविष्य को देखते हुए मक्का के संबंध में जरूरी कदम नहीं उठाया तो इसका सीधा और बड़ा असर अंडे-चिकन के कारोबार पर पड़ेगा.

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देश में हर साल पोल्ट्री प्रोडक्ट में सात से आठ फीसद की दर से बढ़ोतरी हो रही है. साल 2022-23 में 14 हजार करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ था. कुल मीट उत्पादन में चिकन की हिस्सेदारी 51.14 फीसद है. पोल्ट्री एक्सप र्ट का दावा है कि हम एक्सपोहर्ट और घरेलू बाजार की डिमांड को पूरा करने के लिए कभी भी उत्पादन बढ़ाने में सक्षम हैं, लेकिन बस जरूरत है तो सरकारी मदद की. 
 

 

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