बाजार में बांस के तरह-तरह के खूबसूरत आइटम देखकर हम चौंके बिना नहीं रहते हैं. बांस से बनी पानी की बोतल, खाना बनाने की हांडी, पौधों के लिए गमले, घर-ऑफिस में सजाने के लिए शोपीस आइटम के साथ ही और भी कई तरह के आइटम बनाए जा रहे हैं. बांस से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि बांस का ट्रेडिशनल इस्तेमाल अब मॉडर्न और कमर्शियल हो गया है. सबसे बड़ी बात ये है कि 80 फुट की हाइट तक जाने वाले विशाल बांस का इस्तेमाल प्लाईवुड और टाइल्स बनाने में किया जा रहा है. इसके चलते बांस की खेती अब तुरंत फायदा देने वाली हो गई है.
बांस की डिमांड को देखते हुए ही इसे नॉर्थ-ईस्ट के अलावा हिमाचल प्रदेश में भी उगाने की कोशिश की जा रही है. अगर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश की बात करें तो इसी संस्थान में बांस की 43 वैराइटी उगाने पर रिसर्च चल रही है. इसमे बांस के शोपीस पौधे से लेकर विशाल बांस तक शामिल है.
आईएचबीटी के साइंटिस्ट डॉ. रोहित मिश्रा ने किसान तक को बताया कि बांस की 100 से ज्यादा वैराइटी के बीच विशाल बांस ही ऐसा इकलौता बांस है जो 80 फुट की हाइट तक जाता है. इस बांस की मोटाई भी दूसरे बांस की तुलना में ज्यादा है. बांस के अंदर की गहराई और उसमे जगह की बात करें तो वो भी ज्यादा है. इन्हीं सब बातों को देखते हुए इस विशाल बांस नाम दिया गया है. यह बांस नॉर्थ-ईस्टऔ के दूर-दराज गांवों में पानी स्टोरेज करने, चावल के साथ ही नॉनवेज जैसे दूसरे आइटम बनाने, फ्लावर पॉट बनाने, पौधे लगाने के लिए गमले आदि बनाने के काम आ रहा है.
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डॉ. रोहित ने बताया कि विशाल बांस की मोटाई और मजबूती को देखते हुए इस बांस का इस्तेमाल टाइल्स के रूप में भी हो रहा है. होटल-रेस्टोरेंट को और खूबसूरत दिखाने के लिए वहां बांस के टाइल्स् लगाए जा रहे हैं. और दूसरे लोग भी बांस के बने टाइल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. हमारे बैम्बू म्यूजियम में भी बांस के बने टाइल्स का इस्तेमाल किया गया है. इतना ही नहीं बांस से प्लाईवुड भी बनाए जा रहे हैं. बाजार में बांस की डिमांड बढ़ने से किसानों को उनके बांस की अच्छी कीमत मिलना शुरू हो गई है.
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