उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में बाघ का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते दो महीनों में बाघ के हमलों में 7 ग्रामीणों की मौत हो चुकी है. लेकिन गुरुवार को क्षेत्र में बाघ ने अब तक का सबसे बड़ा हमला किया. बाघ ने अलग-अलग जगहों पर तीन गांव वालों पर हमला कर दिया, जिसमें एक महिला की मौत हो गई और दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. लगातार हो रहे बाघ के हमले से दो दर्जन से जयादा गांवों में दहशत फैली हुई है.
घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस को शव सौंपने से मना कर दिया. मामले की गंभीरता को देखते हुए क्षेत्रीय विधायक, डीएम और एसपी मौके पर पहुंचे और बाघ को जल्द पकड़ने का आश्वासन दिया. करीब दो दर्जन गांवों में बाघ की दहशत बनी हुई है, क्योंकि बाघ बार-बार नजर आ रहा है और हमले कर रहा है. ऐसे में क्षेत्र में पुलिस भी तैनात की गई है.
डीएफओ भरत डीके ने बताया,
"हमारी टीम कल रात से बाघ को ढूंढने में जुटी है. खेतों में गन्ने की फसल और पानी भरा होने से दिक्कत आ रही है, लेकिन हम पूरी कोशिश कर रहे हैं."
विधायक स्वामी प्रवक्ता नंद ने कहा,
"अगर 24 घंटे में बाघ नहीं पकड़ा गया, तो चक्का जाम करेंगे. हमने वन मंत्री और प्रमुख सचिव से भी बात की है. हम मामले काे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी पहले मिल चुके हैं. हालांकि, प्रशासन ने 24 घंटे में बाघ को पकड़ने की बात कही है."
ग्रामीण भूप राम ने कहा,
"हम बाघ की सूचना देते हैं, लेकिन विभाग सिर्फ उसकी सुरक्षा करता है. पुलिस इंसानों की डेडबॉडी ले जाती है और बाघ को छोड़ देती है."
वहीं एक अन्य गांव के निवासी वरुण तिवारी ने कहा,
"बाघ के डर से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और हम लोग खेती-किसान नहीं कर पा रहे हैं. कई गांवों में बाघ का आंतक है."
क्षेत्र में बाघ के हमले से स्थिति बहुत ही गंभीर है, क्योंकि अब यह केवल वन्यजीव संघर्ष नहीं, बल्कि ग्रामीणों की सुरक्षा और जनजीवन से जुड़ा गंभीर मामला बन गया है. स्थानीय लोग प्रशासन से ठोस और तेज कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
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