उत्तर प्रदेश के नोएडा के एक सरकारी स्कूल में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अनोखा कदम उठाया गया है. यहां ऐसा क्लासरूम तैयार किया गया है, जो पूरी तरह इको फ्रेंडली है. इसका कंस्ट्रक्शन भी अलग तरीके से किया गया है. इस क्लासरूम को देखकर अलग फीलिंग आएगी. हैरानी की बात ये है कि इसे गन्ने के वेस्ट से बनाया गया है.
ये क्लासरूम गन्ने के वेस्ट बना है. ये अनोखा क्लासरूम बच्चों को सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, प्रकृति से जुड़ना भी सिखा रहा है. कहा जा रहा है कि ये अपनी तरह का देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला क्लासरूम है. ये क्लासरूम गन्ने के वेस्ट से बनाई गईं ईंटों से बनकर तैयार हुआ है.
ये अनोखा क्लासरूम नोएडा के सेक्टर-91 में पंचशील बालक इंटर कॉलेज में बनाया गया है. दावा है कि ये क्लासरूम भूकंप, प्रदूषण, सर्दी, गर्मी और बरसात से बचा सकता है. इसमें करीब गन्ने के कचरे से बनी 3500 ईंटों का इस्तेमाल किया गया है. ये सस्टेनेबिलिटी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.
बताया जा रहा है कि अगर ये ट्रायल में सफल होता है तो ऐसे और भी क्लासरूम बनाए जा सकते हैं. इस प्रोजेक्ट को यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन और इंडिया की केमिकल सिस्टम टेक्नोलॉजी ने मिलकर बनाया है. इन ईंटों की खासियत है कि ये भूकंप-रोधी, आग से सुरक्षित, सामान्य ईंटों के मुकाबले हल्की हैं. इस एक क्लासरूम को बनाने में करीब 3500 गन्ने के ईंटों का उपयोग हुआ है.
इस खास क्लासरूम के अंदर और बाहर के तापमान में भी साफ अंतर देखा जाता है. जहां बाहर गर्मी तेज महसूस होती है, वहीं अंदर तापमान कुछ हद तक ठंडा रहता है. इतना ही नहीं, क्लासरूम के अंदर की वायु गुणवत्ता (AQI) भी बाहर की तुलना में काफ़ी कम है. यह क्लासरूम बच्चों के लिए न सिर्फ आरामदायक है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी सुरक्षित है.
ये क्लासरूम बच्चों के लिए बेहद ख़ास है. टीचर्स बताते हैं कि इसके ज़रिए हम बच्चों को एनवायरनमेंट के लिए संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहें है. बच्चे भी इस नई टेक्नोलॉजी को लेकर काफी जागरूक दिखाई पड़ते हैं. अभी ये एक सैंपल क्लास तैयार की गई है. अगर इसके सारे ऑब्जर्वेशन ठीक आते हैं तो आने वाले वक्त में ऐसे कई क्लासरूम दिखाई देंगे. इसका एक और मकसद पारंपरिक ईंट और भट्टों को रिप्लेस करना है, ताकि हमारे आसपास के एनवायरनमेंट और बेहतर किया जा सके.
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