Goat Breed: दूध-मीट और ज्यादा बच्चों के लिए बकरियों की कौन सी नस्ल पाली जाती है, जानें यहां 

Goat Breed: दूध-मीट और ज्यादा बच्चों के लिए बकरियों की कौन सी नस्ल पाली जाती है, जानें यहां 

Jamunapari Goat Breed बकरी पालन में जमनापारी नस्ल की देश ही नहीं विदेशों में भी डिमांड रहती है. नस्ल सुधार के लिए जमनापारी नस्ल के बकरे विदेशों में भी जाते हैं. लम्बी कद-काठी के चलते भी इस नस्ल को बहुत पसंद किया जाता है. जमनापारी नस्ल को बढ़ाने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा को पुरस्कार भी मिल चुका है. 

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Goat Breed: दूध-मीट और ज्यादा बच्चों के लिए बकरियों की कौन सी नस्ल पाली जाती है, जानें यहां jamnapari bakra

Jamnapari Goat Breed आमतौर पर बकरी पालन मीट (Goat Meat) के लिए किया जाता है. क्योंकि संगठित न होने की वजह से बकरी के दूध की डिमांड नहीं बढ़ पा रही है. साल में एक महीने के लिए बकरीद के बाजार में भी बकरों की खूब डिमांड होती है. यही वजह है कि बकरी खरीदते वक्त ये भी देखा जाता है कि किस नस्ल की बकरी ज्यादा बच्चे देगी. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के साइंटिस्ट और जमनापारी नस्ल के एक्सपर्ट डॉ. एमके सिंह ने किसान तक (Kisan Tak) को बताया कि जमनापारी बकरियों की एक मात्र ऐसी नस्ल है जो ज्यादा दूध (Goat Milk), बच्चे देने और मीट के लिए पाली जाती है. 

जमनापरी नस्ल के बकरे-बकरी कहां के हैं?

जमनापारी बकरे-बकरी इटावा, यूपी के चकरनगर और गढ़पुरा इलाके में पाए जाते हैं. 
यमुना और चम्बल के बीहड़ वाला इलाका होने के चलते यहां चराई की अच्छी सुविधा है. 
देश में लम्बे आकार के बकरे-बकरी वाली यही एक मात्र नस्ल है. 
इस नस्ल की एक खासियत ये भी है कि मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में आसानी से पल जाती है.

जमनापारी नस्ल की पहचान क्या है?

इसके कान भी लम्बे नीचे की ओर लटके हुए होते हैं.  
जमनापारी बकरे-बकरियों का रंग आमतौर पर सफेद होता है. 
कभी-कभी कान और गले पर लाल रंग की धारियां भी होती हैं. 
नाक उभरी हुई होती है और उसके आसपास बालों के गुच्छें होते हैं. 
बकरे-बकरी दोनों के पीछे के दोनों पैर के ऊपर लम्बे बाल होते हैं.
बकरे और बकरी दोनों में ही सींग पाए जाते हैं. 
शारीरिक बनावट और सफेद रंग इसे और ज्यादा खूबसूरत बनाता है. 

जमनापारी बकरे-बकरी का वजन कितना होता है?

बकरे का वजन 45 किलो और बकरी का वजन 38 किलो तक होता है. 
बकरा 90 से 100 सेमी और बकरी 70 से 80 सेमी ऊंची होती हैं.  
जमनापरी का बच्चा 4 किलो वजन तक का होता है. 
जमनापारी बकरी 20 से 25 महीने की उम्र पर पहला बच्चा देती है. 
जमनापारी दूध के साथ ही यह मीट के लिए भी पाली जाती है. 
देश में जमनापरी बकरियों की कुल संख्या 25.56 लाख है. 
प्योर जमनापरी नस्ल की संख्या 11.78 लाख है.  

कितना दूध देती है जमनापारी नस्ल की बकरियां? 

ज्यादा दूध की वजह से नस्ल सुधार के लिए विदेशों में डिमांड रहती है. 
जमनापरी नस्ल की बकरी रोजाना चार से पांच लीटर तक दूध देती है. 
जमनापारी नस्ल का दुग्ध काल 175 से 200 दिन का होता है. 
जमनापारी एक दुग्ध काल में 500 लीटर तक दूध देती है. 
इस नस्ल में दो बच्चे देने की दर 50 फीसद तक है. 
इस नस्ल का वजन हर रोज 120 से 125 ग्राम तक बढ़ता है. 

देश में कहां-कितने जमनापारी बकरे-बकरियां हैं?

सबसे ज्यादा जमनापारी नस्ल पहले नंबर पर यूपी में 7.54 लाख है.
 दूसरे नंबर पर जमनापारी नस्ल मध्य प्रदेश में 5.66 लाख है.
 तीसरे नंबर पर जमनापारी नस्ल बिहार में 3.21 लाख है.
 चौथे नंबर पर जमनापारी नस्ल राजस्थान में 3.09 लाख है. 
पांचवें नंबर पर जमनापारी नस्ल पश्चिम बंगाल में 1.25 लाख है. 
देश में दूध देने वाली कुल जमनापारी बकरियों की संख्या 7.5 लाख है.

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