भारत सरकार ने 1 अप्रैल से प्याज पर लगे 20% निर्यात शुल्क को समाप्त करने का ऐलान किया है. वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने इस फैसले से जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी है. इस निर्यात शुल्क का मुख्य उद्देश्य घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करना था. इसके अलावा, इस निर्णय से प्याज के निर्यातकों और किसानों को बड़ा फायदा होने की संभावना जताई जा रही है.
पहले प्याज पर 20% निर्यात शुल्क लागू था, साथ ही साथ एक न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) और 8 दिसंबर 2023 से 3 मई 2024 तक निर्यात प्रतिबंध भी लागू था. इसका उद्देश्य घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों को नियंत्रित करना और इसकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना था. हालांकि, अब सरकार ने यह 20% निर्यात शुल्क समाप्त करने का निर्णय लिया है, जो 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा. इससे निर्यातकों और किसानों के लिए स्थितियां बेहतर होने की उम्मीद है.
भारत, जो प्याज का प्रमुख उत्पादक और निर्यातक देश है, ने वित्त वर्ष 2023-24 में 17.17 लाख मीट्रिक टन (LMT) प्याज का निर्यात किया, और 2024-25 में यह आंकड़ा 11.65 LMT तक पहुंचने का अनुमान है. प्याज के निर्यात में कई उतार-चढ़ाव आए हैं. सितंबर 2024 में, जहां प्याज का मासिक निर्यात 0.72 LMT था, वहीं जनवरी 2025 तक यह बढ़कर 1.85 LMT हो गया. यह निर्यात शुल्क हटने के बाद बढ़ सकता है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलने की संभावना है.
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सरकार का उद्देश्य दोनों, यानी किसानों और उपभोक्ताओं के हितों का संतुलन बनाना है. सरकार किसान को उनकी उपज की उचित कीमत दिलाने की कोशिश करती है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि प्याज की कीमतें आम जनता के लिए असहनीय न हो.
रबी सीजन की नई फसल के आने से प्याज के दाम में गिरावट आई है. हालांकि, मंडी में कीमतें पिछले साल की तुलना में अब भी ज्यादा हैं, लेकिन ऑल-इंडिया वेटेड एवरेज मॉडल में प्याज की कीमतों में 39% और रिटेल कीमतों में 10% की गिरावट देखी गई है.
मंडी में प्याज की आवक बढ़ने से कीमतों में कमी आई है. खासतौर पर महाराष्ट्र की प्रमुख मंडियों जैसे लासलगांव और पिंपलगांव में प्याज की आवक बढ़ी है. 21 मार्च 2025 को लासलगांव में प्याज की मॉडल कीमत 1330 रुपये प्रति क्विंटल और पिंपलगांव में 1325 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गई.
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भारत में इस बार रबी प्याज का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने की उम्मीद है. कृषि और किसान कल्याण विभाग के मुताबिक, इस साल रबी प्याज का उत्पादन 227 लाख मीट्रिक टन (LMT) होने का अनुमान है, जो पिछले साल के 192 लाख मीट्रिक टन से 18% अधिक है. यह उत्पादन भारत की कुल प्याज आपूर्ति का 70-75% हिस्सा है. इस उत्पादन के साथ, अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल आने तक बाजार में स्थिरता बनी रहेगी.
यह फैसला उस समय लिया गया है, जब पिछले साल अगस्त 2023 से देश को प्याज के कम उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमतों का सामना करना पड़ा था. अब रबी फसल के अच्छे उत्पादन से प्याज की कीमतों में स्थिरता और राहत की उम्मीद है.
मंडी का नाम | न्यूनतम कीमत | अधिकतम कीमत | मॉडल प्राइस |
अहमदनगर | 300 | 1700 | 1300 |
अकोला | 600 | 1600 | 1300 |
भुसावल | 1000 | 1500 | 1300 |
चंद्रपुर(गंजवाड़) | 1200 | 1800 | 1500 |
चांदवड | 725 | 1416 | 1160 |
छत्रपति संभाजीनगर | 800 | 1600 | 1200 |
कोल्हापुर | 600 | 1800 | 1200 |
कोपरगांव | 1000 | 1651 | 1325 |
नागपुर | 1000 | 1800 | 1600 |
नासिक | 600 | 1600 | 1350 |
नेवासा(घोड़ेगांव) | 500 | 1600 | 1200 |
पिंपल | 400 | 1775 | 1350 |
पिंपलगांव | 700 | 1421 | 1275 |
पुणे(मांजरी) | 1300 | 2200 | 1700 |
पुणे(मोशी) | 300 | 1400 | 850 |
पुणे(पिंपरी) | 800 | 1800 | 1300 |
राहुरी(वम्बोरी) | 200 | 1700 | 1300 |
संगमनेर | 400 | 1475 | 938 |
सांगली | 500 | 1900 | 1200 |
सोलापुर | 200 | 1900 | 1150 |
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