बिहार में मॉनसून की रुक-रुक कर हो रही बारिश और गंगा समेत कई नदियों के बढ़े जलस्तर का सीधा असर सब्जी की खेती पर पड़ रहा है. दूसरी ओर, सब्जियों के दाम बाजार में छलांग लगाना शुरू कर चुके हैं. एक ओर खेतों में जलजमाव से सब्जी की खेती करने वाले किसान परेशान हैं, तो दूसरी ओर थालियों में सब्जियों की तंगी नजर आ रही है. इस मौसम में हर टोकरी का वजन दाम से भारी होता जा रहा है. खेतों से मंडियों तक पहुंचने वाली सब्जी सीधे जेब पर असर डाल रही है. हालात यह हैं कि बिहार की राजधानी पटना की अधिकांश सब्जी मंडियों में टमाटर 70 से 80 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. वहीं, अन्य सब्जियों के दाम भी हाफ सेंचुरी पार कर रहे हैं.
पटना के अंटा घाट सब्जी मंडी में फल का ठेला लगा रहे अरुण कुमार राय कहते हैं कि उन्होंने गंगा नदी के किनारे दियारा क्षेत्र में सब्जी की खेती की थी. लेकिन, इस साल एक महीने पहले ही गंगा नदी के बढ़े जलस्तर ने पूरी सब्जी की फसल को बर्बाद कर दिया, जिसका परिणाम है कि अब वे फल की दुकान लगाकर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं. अगर गंगा नदी का जलस्तर अगस्त में बढ़ता, तो सब्जी की खेती से लागत के अलावा अधिक कमाई हो जाती. मगर गंगा सब कुछ बहाकर ले गई. सब्जी की खेती में लगी लागत को अब फल की दुकान से निकालने का प्रयास कर रहा हूं.
सब्जी मंडी में टमाटर के भाव अपने रंग की तरह लाल सुर्ख हैं, जिससे खरीदने के लिए लोगों को अपनी जेब पहले से ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है. पटना की सब्जी मंडियों में टमाटर 70 से 80 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. वहीं, भिंडी, नेनुआ, करैला, बोरा सहित अन्य सब्जियों के दाम 50 से 60 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुके हैं.
इसके साथ ही लौकी, फूलगोभी और बैंगन 20 से 30 रुपए प्रति किलो बिक रहे हैं. सब्जियों के दाम बढ़ने को लेकर दुकानदार रंजीत राय कहते हैं कि लोकल सब्जी नहीं आने के कारण हर सब्जी के दाम में 10 से 20 रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है. टमाटर बेंगलुरु और नागपुर से आ रहा है, जबकि अन्य सब्जियां समस्तीपुर सहित अन्य स्थानों से आ रही हैं.
रोहतास जिले के किसान अर्जुन सिंह कहते हैं कि इस बार सब्जी की खेती से अब तक अच्छी कमाई हुई है, क्योंकि उनका खेत ऊंची जगह पर था, जहां जलजमाव की कोई समस्या नहीं है. वे यह भी कहते हैं कि जो किसान सोन नदी के किनारे सब्जी की खेती कर रहे थे, उनकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. वहीं, पटना के सब्जी दुकानदार और किसान गोरख राय कहते हैं कि सावन मास में अन्य महीनों की तुलना में सब्जी की मांग अधिक रहती है, जबकि इस साल नदियों के बढ़े जलस्तर ने सब्जी की खेती को काफी प्रभावित कर दिया है.
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