किसानों से दालों की खरीद तेज करेगी सरकार, गिरते बफर स्टॉक को बढ़ाने में भी मिलेगी मदद

किसानों से दालों की खरीद तेज करेगी सरकार, गिरते बफर स्टॉक को बढ़ाने में भी मिलेगी मदद

बफर स्टॉक सरकार द्वारा रखे गए ऐसे सामानों का भंडार है, जो किसी आपातकालीन स्थिति या बाजार में मूल्य वृद्धि की स्थिति में काम आते हैं. पिछले कुछ महीनों में, बफर स्टॉक तेजी से घटने के कारण सरकार को किसानों से खरीद बढ़ाने का निर्णय लेना पड़ा है.

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दालों की खरीद तेज करेगी सरकार, गिरते बफर स्टॉक को बढ़ाने में भी मिलेगी मददसरकार करेगी दाल की खरीद

भारत में पिछले दो वर्षों से दालों की मंडी कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे आ रही हैं, जिसके कारण किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार अब इस स्थिति को सुधारने के लिए बेंचमार्क दरों पर खरीद बढ़ाने के लिए तैयार है. इस कदम से किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के साथ-साथ दालों का बफर स्टॉक भी बढ़ाया जाएगा.

क्या है बफर स्टॉक?

बफर स्टॉक सरकार की ओर से रखे गए ऐसे सामानों का भंडार है, जो किसी आपातकालीन स्थिति या बाजार में मूल्य वृद्धि की स्थिति में काम आते हैं. पिछले कुछ महीनों में, बफर स्टॉक तेजी से घटने के कारण सरकार को किसानों से खरीद बढ़ाने का निर्णय लेना पड़ा है. वर्तमान में दालों का बफर स्टॉक तय मानक से आधे से भी कम रह गया है, जिससे आपूर्ति के संकट का खतरा बढ़ सकता है.

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खरीफ और रबी फसल का असर

दलहन फसलों के अच्छे उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वह किसानों से जितना हो सके, दालें खरीदेगी ताकि बफर स्टॉक को बढ़ाया जा सके. इसमें खरीफ और रबी दोनों फसलों का अहम योगदान रहेगा.

महाराष्ट्र के अकोला में, जहां तूर (अरहर) की खरीफ फसल बिक रही है, उसकी कीमत 7,525 रुपये प्रति क्विंटल है, जो कि 7,550 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के लगभग बराबर है. हालांकि, पिछले साल की तुलना में यह कीमत 28 परसेंट कम है, क्योंकि एक साल पहले यह 10,525 रुपये प्रति क्विंटल थी. 

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चना दाल की आवक शुरू

वहीं, रबी की प्रमुख दाल चना की मंडियों में आवक अभी शुरू हुई है, और इसकी कीमतें 75,650 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के आसपास हैं. लेकिन अगले हफ्तों में, जब आवक अपने चरम पर होगी, तो कीमतों के एमएसपी से नीचे गिरने की आशंका है.

बफर स्टॉक का मौजूदा हाल

सूत्रों के अनुसार, सरकार के पास वर्तमान में केवल 10 लाख टन से कुछ अधिक दालें हैं, जबकि 30 लाख टन से अधिक का बफर स्टॉक रखने की जरूरत है ताकि बाजार में मूल्य वृद्धि को रोका जा सके. इसमें से अधिकांश स्टॉक मूंग (0.75 मिलियन टन) और मसूर (0.53 मिलियन टन) का है, और मसूर का कुछ हिस्सा आयात के माध्यम से जुटाया गया था.

इस समय जब दालों की कीमतें एमएसपी से नीचे आ रही हैं, सरकार की यह पहल किसानों के लिए एक राहत साबित हो सकती है. इस कदम से न केवल किसानों को उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि बाजार में दालों की कीमतों को स्थिर रखने में भी मदद मिलेगी. सरकार का यह प्रयास कृषि क्षेत्र में बफर स्टॉक को बढ़ाने और बाजार में मूल्य स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण साबित होगा.

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