देसी और व‍िदेशी गाय के गोबर में क्या है अंतर, प्राकृत‍िक खेती के ल‍िए क्यों खास हैं देसी गाय?

देसी और व‍िदेशी गाय के गोबर में क्या है अंतर, प्राकृत‍िक खेती के ल‍िए क्यों खास हैं देसी गाय?

Indigenous Cow: पशुपालक यह अनुभव कर रहे हैं क‍ि देसी गायों के मुकाबले व‍िदेशी गाय ज्यादा बीमार पड़ रही हैं. देश में अगर प्राकृत‍िक खेती को बढ़ाना है तो देसी गायों की संख्या को बढ़ाना होगा. वहीं देसी गायों के गोबर और गौमूत्र से खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के उपयोग को कम किया जा सकता है.

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देसी और व‍िदेशी गाय के गोबर में क्या है अंतर, प्राकृत‍िक खेती के ल‍िए क्यों खास हैं देसी गाय? देसी गाय क्यों हैं खास?

देश में अब देशी गायों को बढ़ावा देने का प्रयास क‍िया जा रहा है. इसके पीछे कई कारण हैं. लेक‍िन कुछ वजहों को जानकार आपको हैरानी होगी. जिस क्षेत्र की जलवायु जिन पशुओं के लिए उपयोगी है, वहां उस क्षेत्र में वे पशु आसानी से पाले जा सकते हैं. देसी गाय हमारे वातावरण के अनुकूल हैं. ये गाय वातावरण के हिसाब से अपने आप को समायोजित कर लेती हैं. इसके विपरीत विदेशी नस्ल के पशुओं को अधिक गर्मी सहन नहीं होती है. इन पशुओं को जलवायु, प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित करती है. विपरीत जलवायु के कारण इन्हें बहुत से रोगों का भी सामना करना पड़ता है.

पशुपालक यह अनुभव कर रहे हैं क‍ि देसी गायों के मुकाबले व‍िदेशी गाय ज्यादा बीमार पड़ रही हैं. देसी गायों पर खर्च कम है. देश में अगर प्राकृत‍िक खेती को बढ़ाना है तो देसी गायों की संख्या को बढ़ाना होगा. वहीं देसी गायों के गोबर और गौमूत्र से खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के उपयोग को कम किया जा सकता है. कृषि में लागत मूल्य को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. आज हम आपको यह भी बताने वाले हैं क‍ि देसी गाय का गोबर क्यों व‍िदेशी गाय के गोबर से बेहतर है और क्यों ऑर्गेन‍िक और नेचुरल फार्म‍िंग में इसका इस्तेमाल हो रहा है. 

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देसी गाय के गोबर की खास‍ियत

प्राकृत‍िक खेती मुख्य रूप से देसी गाय पर आधारित है. इसल‍िए हर‍ियाणा और मध्य प्रदेश की सरकारें इन्हें पालने वालों को आर्थ‍िक मदद देने का एलान क‍िया है. भारतीय कृष‍ि अनुसंधान पर‍िषद (ICAR) ने अपनी एक पत्र‍िका में बताया है क‍ि देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ तक सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, जबकि विदेशी गाय के एक ग्राम गोबर में स‍िर्फ 78 लाख सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं. 

सूक्ष्म जीवाणुओं का खेती में फायदा

  • सूक्ष्म जीवाणु पौधों की वृद्धि और विकास में मदद करते हैं.  
  • सूक्ष्म जीवाणु फसल की पैदावार बढ़ाते हैं. 
  • ये पौधों को पोषक तत्व प्रदान करते हैं. 
  • सूक्ष्म जीवाणु मिट्टी के पीएच को बनाए रखते हैं. 
  • पोषक तत्वों और खनिजों को संतुलित करने का काम करते हैं. 
  • रोगजनक फंगस को नष्ट करने में सूक्ष्म जीवाणु मदद करते हैं. 
  • कीटों और पौधों की बीमारियों को नियंत्रित करने में मददगार होते हैं. 

संख्या में आ रही ग‍िरावट 

पशु वैज्ञान‍िक सोहन वीर सिंह और रूहानी शर्मा के मुताब‍िक गायों की देसी नस्लें सदियों से व‍िभ‍िन्न संस्कृतियों और समाजों का अभिन्न अंग रहे हैं. गोवंश की विभिन्न नस्लें समय के साथ अपने-अपने क्षेत्रों की खास पर्यावरणीय परिस्थितियों और उपलब्ध चारा संसाधनों के अनुकूल विकसित हुई हैं. वर्तमान में वेचूर, पुंगनूर, कृष्णा वैली, बरगुर, पोनवार, बिंझारपुरी, रेड सिंधी, साहीवाल, थारपारकर और अमृतमहल जैसी देसी नस्लों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है.  

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