मखाना शाकाहारी खाद्य पदार्थ है जबकि मछली मांसाहारी. दोनों में इंसानों के लिए पौष्टिक तत्व मिलते हैं. लेकिन किसमें क्या मिलता है और कितना मिलता है यह सब लोग नहीं जानते. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों बाल कृष्ण झा, अभय कुमार, उज्ज्वल कुमार और इन्दु शेखर ने इसकी खेती और उसमें मिलने वाले पौष्टिक तत्वों के बारे में जानकारी दी है. मखाना मुख्य तौर पर बिहार में होता है और वो बाजारों में सब जगह उपलब्ध होता है, जबकि मछली पालन सभी जगहों पर होता है.
मखाना शुद्ध, प्राकृतिक, पौष्टिक एवं प्रोसेस्ड उत्पाद के रूप में सूखे फल की तरह बाजारों में उपलब्ध होता है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मखाना के कच्चे लावा में 9.7 प्रतिशत प्रोटीन, 76.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 0.1 प्रतिशत वसा, 1.3 प्रतिशत खनिज (कैल्शियम 20 मि.गा., फॉस्फोरस 90 मि.गा., आयरन 1400 मि.गा. प्रति 100 ग्राम) एवं 12.8 प्रतिशत नमी का अंश रहता है.
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कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार भुने हुए मखाना लावा में प्रोटीन 9.5 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 84.9 प्रतिशत, वसा 0.5 प्रतिशत, नमी 4 प्रतिशत एवं क्रूड फाइबर 0.6 प्रतिशत पाया जाता है. प्रति 100 ग्राम मखाना कच्चा लावा के सेवन से 362 एवं भुने हुए मखाना लावा से 382 कि.ग्रा. कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है.
मछली एक पौष्टिक आहार है, जिसमें उच्च कोटि का प्रोटीन 30-45 प्रतिशत, वसा 0.2-22 प्रतिशत, लवण 1-2 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 1-3 प्रतिशत एवं नमी 70-80 प्रतिशत पाई जाती है.
कृषि वैज्ञानिकों ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सिंघाड़ा में कार्बोहाइड्रेट 23.3 प्रतिशत, प्रोटीन 4.7 प्रतिशत, खनिज 1.1 प्रतिशत, फॉस्फोरस 15 प्रतिशत, आयरन 0.008 प्रतिशत, विटामिन 0.0009 प्रतिशत और फाइबर 0.6 प्रतिशत मिलता है.इसके सूखे फल में कार्बोहाइड्रेट 65-75 प्रतिशत, प्रोटीन 13.4 प्रतिशत, वसा 0.8 प्रतिशत, खनिज 3.1 प्रतिशत, फॉस्फोरस 0.44 प्रतिशत और आयरन 0.0024 प्रतिशत पाया जाता है. इन उत्पादों के सेवन से कुपोषण को दूर किया जा सकता है.
मखाना की व्यावसायिक खेती नगदी फसल के रूप में मुख्य तौर पर उत्तरी बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, फारबिसगंज और कटिहार जिलों में होती है. इसके अलावा असम तथा पश्चिम बंगाल के निचले भू-भाग वाले जलक्षेत्रों में होती है. इसकी परंपरागत खेती से किसानों को प्रतिवर्ष प्रति हेक्टेयर 48,960 रुपये तक का शुद्ध लाभ तथा समन्वित खेती अर्थात मखाना-सह-मछली एवं सिंघाड़ा की खेती से 101,110 रुपये तक का शुद्ध लाभ प्राप्त होता है.
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