हरियाणा-पंजाब में हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में महाराष्ट्र के भी किसान सामने आए हैं. खासतौर पर प्याज उत्पादक किसान. क्योंकि वह पिछले 6-7 महीने से केंद्र सरकार के फैसलों से निराश हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) ने केंद्र सरकार से सभी फसलों की एमएसपी मांगी है. जिसमें महाराष्ट्र के किसानों की भी मांग ऑटोमेटिक शामिल हो जाती है. इसलिए प्याज उत्पादक किसानों के संगठन ने इस आंदोलन में शामिल होने का ऐलान कर दिया है. महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि पंजाब और हरियाणा में हो रहे किसान आंदोलन में को उनका पूरा समर्थन है. जल्द ही महाराष्ट्र के किसान भी इस आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचेंगे.
दिघोले का कहना है कि राज्य में प्याज, सोयाबीन, अंगूर और कॉटन जैसे कई कृषि उत्पाद की खेती करने वाले किसान खासतौर पर परेशान हैं. क्योंकि उन्हें उचित दाम नहीं मिल रहा. प्याज की खेती करने वाले किसान तो लगातार घाटे में काम कर रहे हैं. एक से आठ रुपये किलो के औसत दाम पर प्याज बेचने को मजबूर हैं, जो लागत से भी कम है. इसलिए केंद्र सरकार प्याज को भी एमएसपी के दायरे में ले आए, जिससे कि किसानों को कम से कम उनकी लागत से कम दाम न मिले. इससे कंज्यूमर को भी फायदा मिलेगा, क्योंकि किसान खेती कम नहीं करेंगे. इसलिए प्याज का दाम बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगा. जैसा आजकल कभी-कभी बढ़ता है.
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कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार सभी फसलों को एमएसपी पर खरीद की गारंटी दे. उससे कम दाम पर कोई भी कृषि उपज की खरीद न करे. वरना इसी तरह से किसान कर्ज लेकर खेती करता रहेगा और कम दाम के अभाव में कर्ज नहीं चुका पाएगा और मरता रहेगा.अब किसान पहले जैसे हालात नहीं बर्दाश्त करेंगे. अब वह अपनी फसल का दाम मांग रहे हैं. इसीलिए देश भर के अलग-अलग राज्यों के किसान दिल्ली पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें महाराष्ट्र के किसान भी पीछे नहीं रहेंगे. वह बढ़ चढ़कर जल्दी ही दिल्ली वाले आंदोलन में भाग लेंगे.
दिघोले का कहना है कि किसान सरकार से कोई कर्ज नहीं मांग रहे, बल्कि अपना हक मांग रहे हैं. अपनी मेहनत से उपजाई गई फसल का उचित दाम मांग रहे हैं. अगर किसानों को उनका हक नहीं मिलेगा तो वह सड़क पर उतरेंगे और उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी. प्याज की सही कीमत की मांग को लेकर महाराष्ट्र में बड़ा किसान आंदोलन हो चुका है. किसान पैदल मार्च कर चुके हैं, लेकिन सरकार बात करती है और मुकर जाती है. अब किसान चाहते हैं कि जो रोजमर्रा के खाने की चीजें हैं, उसे उगाने वालों को सही दाम मिले. इसलिए सभी फसलों को एमएसपी के दायरे में लाया जाए. खासतौर पर प्याज को.
उनका कहना है कि अगर सरकार प्याज को एमएसपी के दायरे में नहीं ला रही है तो भी उसका न्यूनतम दाम फिक्स कर दिया जाए, जिससे किसानों को उससे कम दाम पर नहीं बेचना पड़े. बस किसान यह चाहते हैं कि उनकी फसल का उचित दाम मिले. वो इसीलिए आंदोलन का रास्ता चुन रहे हैं क्योंकि सरकार सुन नहीं रही. इसलिए दिल्ली में होने वाले किसान आंदोलन में महाराष्ट्र के किसानों की पूरी भागीदारी होगी. क्योंकि महाराष्ट्र के किसानों को सरकार खुद अपने फैसलों से तंग कर रही है.
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है की सरकार किसानों के साथ दोहरा रवैया अपना रही है. जब किसानों की फसल का दाम बहुत कम हो जाता है तो वह किसानों की मदद करने नहीं आती, लेकिन जब दाम बढ़ने लगता है तब वह उसे घटाने के लिए नई-नई नीतियां बनाती है. जिससे दाम घट जाता है और किसान बेचारा मर जाता है.
इसका उदाहरण वर्तमान केंद्र सरकार के फैसले हैं. अगस्त 2023 में केंद्र सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर 40% ड्यूटी लगाई. प्याज पर इतनी ड्यूटी कभी नहीं लगाई गई थी.
उसके बाद 28 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने 800 डॉलर प्रति टन का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस लगाया. जिससे प्याज के एक्सपोर्ट पर बुरा असर पड़ा. इसके बाद भी दाम कम नहीं हुआ तो केंद्र सरकार ने 7 दिसंबर 2023 की देर रात एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया. जिससे प्याज दूसरे देशों में जाना बंद हो गया. इस फैसले से खासतौर पर महाराष्ट्र के किसानों को बहुत नुकसान पहुंचा है. क्योंकि देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है जो कुल प्याज उत्पादन में करीब 43% योगदान देता है.
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