संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने 2025 में वैश्विक अनाज उत्पादन के लिए नए पूर्वानुमान जारी किए हैं. इन इस पूर्वानुमान में अनाज का अब कुल उत्पादन 29710 लाख टन आंका गया है. ये पिछले साल के स्तर से 3.8% अधिक है और 2013 के बाद से सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है. नए अनाज आपूर्ति और मांग संक्षिप्त विवरण में सभी फसलों के उत्पादन में वृद्धि की संभावनाओं को इस बढ़त का कारण बताया गया है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन को ऑस्ट्रेलिया में गेहूं, संयुक्त राज्य अमेरिका में मक्का और भारत में चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है.
इसमें बताया गया कि 2025-26 में विश्व अनाज का कुल उपयोग बढ़कर 29300 लाख टन होने का अनुमान है, जिसमें मानव उपभोग और पशु आहार दोनों के लिए प्रचुर आपूर्ति उपलब्ध होगी. 2026 में सीज़न के अंत तक वैश्विक अनाज भंडार बढ़कर 9002 लाख टन होने का अनुमान है और विश्व चावल भंडार संभवतः रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाएगा. 2025-26 में वैश्विक अनाज स्टॉक-से-उपयोग अनुपात लगभग 30.6% पर अपरिवर्तित रहने की उम्मीद है, जो आरामदायक वैश्विक आपूर्ति संभावनाओं को दर्शाता है.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के नए पूर्वानुमानों के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय अनाज व्यापार में 2.5% की वार्षिक वृद्धि होगी और अब यह 4971 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है. यह वृद्धि विश्व गेहूं व्यापार में अनुमानित उल्लेखनीय वृद्धि के कारण है, जबकि एशियाई और अफ्रीकी देशों की कम मांग के कारण अंतर्राष्ट्रीय चावल व्यापार में गिरावट आने की उम्मीद है, जो 2025 में अच्छी स्थानीय फसल और बड़ी खरीदारी को दर्शाता है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में विश्व गेहूं उत्पादन 8097 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले महीने की तुलना में 0.6 प्रतिशत और अब 2024 के उत्पादन से 1.3 प्रतिशत अधिक है. इस महीने की वृद्धि का अधिकांश हिस्सा ऑस्ट्रेलिया से जुड़ा है, जहां जुलाई-अगस्त में हुई अनुकूल बारिश ने, कुछ हिस्सों में मौसम की शुष्क शुरुआत के बाद, पैदावार की उम्मीदों को बढ़ावा दिया और 2025 के उत्पादन पूर्वानुमान को पांच-वर्षीय औसत के बराबर स्तर पर पहुंचा दिया.
जहां तक चावल का सवाल है, एफएओ ने पाकिस्तान के लिए अपने उत्पादन पूर्वानुमान को अस्थायी रूप से 6 लाख टन (मिल्ड आधार पर) कम कर दिया है, क्योंकि देश के प्रमुख चावल उत्पादक प्रांत पंजाब में भयंकर बाढ़ आई है. हालांकि, यह गिरावट भारत के लिए उत्पादन की उम्मीदों में 16 लाख टन की वृद्धि से अधिक है, जहां कुछ पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में कम बारिश और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में बाढ़ से उत्पन्न कुछ चुनौतियों के बावजूद, खरीफ फसल की बुवाई की मजबूत गति बताई गई है.
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