जंगली जानवर फसलों को पहुंचा रहे नुकसान, ऐसे में क‍िसी भी एक्शन से पहले वन व‍िभाग को सूच‍ित करें क‍िसान

जंगली जानवर फसलों को पहुंचा रहे नुकसान, ऐसे में क‍िसी भी एक्शन से पहले वन व‍िभाग को सूच‍ित करें क‍िसान

कैमूर को बाघ सेंचुरी बनाने के प्रयास तेज हो गए हैं. वही वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की मदद से कैमूर के वनों में पाए जाने वाले वन्य जीवों की स्थाई संख्या जानने के लिए गणना की जाएगी. इसके अलावा जंगली जानवरों के प्रति स्कूली बच्चों में जागरूकता लाने के लिए ट्रेनिंग दिया जाएगा. 

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जंगली जानवर फसलों को पहुंचा रहे हैं नुकसान, तो किसान वन विभाग से करें संपर्क किसान तक से बात करते हुए राजकुमार शर्मा सहायक वन संरक्षक अधिकारी कैमूर

अकबरनामा में इस बात का जिक्र है कि भारत में अगर शेर, बाघ और चीता, तीनों एक साथ कही पाये जाते थे, वो था कैमूर पहाड़ी. इसके अलावा, बंगाल गजट में भी इस बात का जिक्र है कि कैमूर की पहाड़ियों में बाघ पाए जाते थे, लेकिन मौजूदा वक्त में एक भी नहीं हैं. पहले जिन बाघों के लिए कैमूर को जाना जाता था, हमलोग कोशिश कर रहे हैं कि कैमूर बाघ अभ्यारण्य (सेंचुरी) बने. इसमें हम आगे बढ़ रहे हैं. अगर बन जाता है तो कैमूर वासियों के लिए गर्व की बात होगी. इसके अलावा अगर जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं या अन्य कोई परेशानी हो रही है. तो किसान खुद एक्शन लेने की जगह वन विभाग को सूचना दें. ये जानकारी 'किसान तक' से बातचीत करते हुए कैमूर जिले के सहायक वन संरक्षक अधिकारी राजकुमार शर्मा ने दी.

किसान तक से बातचीत के दौरान राजकुमार शर्मा ने बताया कि आने वाले दिनों में स्कूली बच्चों को जानवरों के प्रति जगरूक करने लिए ट्रेंनिग शुरू किया जाएगा, जिसमें जंगली जानवरों से जुड़े प्रमुख स्थानों एवं जानवरों के बारे में बताने का प्रयास किया जाएगा, ताकि आने वाले दिनों में वे जानवरों को पहचानें और उनके प्रति स्नेह की भावना रखें.

नीलगाय को मारने के लिए शूटर की है व्यवस्था

किसान तक से बातचीत के दौरान सहायक वन संरक्षक अधिकारी राजकुमार शर्मा ने बताया कि कुछ जगहों पर नीलगाय से फसल नुकसान होने की सूचना है. वही अगर समस्या ज्यादा है, तो उन्हें मारने के लिए शूटर की व्यवस्था है जो हैदराबाद से बुलाए जाते हैं और वन विभाग की निगरानी में उन्हें मारा जाता है, लेकिन ये अधिकार आम लोगों को नहीं दिया गया है. अगर वे ऐसा कुछ करते हैं, तो उन पर कानूनी कार्यवाही की जाती है. आगे उन्होंने बताया कि काला हिरण से किसानों को ज्यादा नुकसान नहीं है. इसलिए उन्हें मारने की जगह बचाने का काम करें. इसके साथ ही अगर वन्य जीवों के कारण कोई इंसान मर जाता है तो वन विभाग के द्वारा पांच लाख रुपए तक आर्थिक मदद दी जाती है. साथ ही गहरी चोट, हल्की चोट या घायल होने पर भी राशि दी जाती है. इसके साथ ही फसल नुकसान को लेकर भी एक राशि निर्धारित की गई है.

वन्य जीवों का कराया जाएगा जनगणना

कैमूर की वादियों में कौन से वन्य जीवों की कितनी जनसंख्या है. इसके बारे में विभाग के पास सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है. वही आने वाले 15 जनवरी के बाद वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Wildlife Institute of India) की मदद से जंगली जानवरों की गणना की जाएगी. इसको लेकर वन विभाग के कर्मचारियों को ट्रेनिंग दिया जा रहा है. वही हाल के समय में कैमूर वन्य जीव अभयारण्य में भालू, लकड़बग्घा, काला हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर के अलावा अन्य जीव निवास कर रहे हैं. 

कैमूर में है राज्य का पहला काला हिरण रेस्क्यू सेंटर 

काला हिरण की सुरक्षा के लिए राज्य का पहला काला हिरण रेस्क्यू सेंटर रामगढ़ प्रखंड के जलदहां गांव में बनाया गया है, करीब एक एकड़ में काला हिरण रेस्क्यू सेंटर बनाया गया. यहां काला हिरण से लेकर अन्य घायल वन्य जीवों का इलाज किया जाता है. वही कैमूर जिले से लेकर बक्सर जिले के बीच काफी संख्या में काला हिरण पाए जाते हैं. 

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