बिहार की राजधानी पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से एक बड़ी अपील की है. उन्होंने किसानों से कहा है कि वो स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग का संकल्प लें. वहीं बहनों ने भी संकल्प लिया कि वे भाइयों की कलाई पर सिर्फ देश में और अपने आसपास बनी राखी ही बांधेंगी. यहां शिवराज सिंह ने कहा कि आज हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और जल्द ही तीसरी बनने वाले हैं. कृषि मंत्री का कहना था कि भारत की अर्थव्यवस्था अश्वमेघ के घोड़े की तरह है, जिसे दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटना में किसान संवाद कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी किसान भाइयों-बहनों को एक संकल्प भी दिलाया. उन्होंने उनसे कहा कि वो संकल्प लें कि हम अपने घर में उपयोग होने वाली वस्तुओं में केवल वही चीजें खरीदेंगे जो हमारे यहां, हमारे आसपास, हमारे लोगों द्वारा या हमारे देश में ही बनाई गई हों. सभी ने संकल्प लिया कि वे विदेशी वस्तुएं नहीं खरीदेंगे. शिवराज सिंह के अनुसार हमारे किसान जो बना रहे हैं, वही खरीदो. अपने कपड़े खरीदो, अपनी चीजें खरीदो, अपने मखाने खरीदो, अपने खिलौने खरीदो.
उनका कहना था कि यह 144 करोड़ निवासियों का भारत है. दुनिया के देशों की हमें जरूरत क्यों पड़े? हम उनके सामने हाथ क्यों जोड़ें? हमारा उपभोक्ता बाजार इतना बड़ा होना चाहिए कि अगर हम केवल अपने देश की चीजें खरीदें, तो अपने देश को आगे बढ़ा सकते हैं. कोई भूखा नहीं सोएगा, हर किसी का काम-धंधा चलेगा. शिवराज सिंह किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि पटना में किसान भाइयों-बहनों ने एक बड़ा संकल्प लिया है. उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्वदेशी वस्तु ही खरीदें' की अपील की है और उसी क्रम में आज किसानों ने यह संकल्प दिलाया गया है कि वो देश में बनी वस्तुओं का ही उपयोग करेंगे.
शिवराज सिंह ने बहनों द्वारा लिए गए संकल्प पर भी खुशी जताई और सभी बहनों को रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं दीं. शिवराज सिंह ने कहा कि हम सभी 144 करोड़ भारतीय, यदि अपने देश में ही बने सामान का उपयोग करना शुरू कर दें, तो अर्थव्यवस्था को बहुत गति मिलेगी. उन्होंने कहा, 'आज मैं आपके सामने सबसे पहले प्रधानमंत्री का धन्यवाद करता हूं, भारत सरकार का धन्यवाद करता हूं. बहुत प्रयास किए गए कि कृषि उत्पादों के द्वार अमेरिका जैसे देशों के लिए भारत में खोल दिए जाएं, जिससे वे निर्यात होकर यहां सस्ते दामों में आ सकें.'
कृषि मंत्री ने आगे बताया, 'लेकिन हमने जो कृषि नीति का रुख अपनाया, वह साफ था – अमेरिका और भारत के किसानों की कोई तुलना नहीं. अमेरिका में किसानों के पास 10,000 से 20,000 हेक्टेयर तक के फार्महाउस हैं, जबकि हमारे देश में अधिकांश किसानों के पास एक हेक्टेयर से भी कम जमीन है. यह असमान प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती. मैं प्रधानमंत्री का हृदय से आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने स्पष्ट कहा – राष्ट्र प्रथम, राष्ट्र सर्वोपरि और किसानों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी, चाहे कुछ भी हो जाए.' इसके साथ ही उन्होंने दोहराया कि आज हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और तीसरी बनने की दिशा में अग्रसर हैं.
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