सितम्बर-अक्टूबर में हमे आलू ज्यादा मीठा लगने लगता है. उससे पहले भी आलू के साथ बनी सब्जी में मिठास आने लगती है. लेकिन दिल्ली-एनसीआर में 95 फीसद फीका आलू खाया जाता है. क्या आप इसकी वजह जानते हैं? जानकारों की मानें तो कोल्ड स्टोरेज ही आलुओं को मीठा होने से बचाता है. कोल्ड स्टोरेज की एक खास तकनीक के चलते आलू मीठा नहीं होता है. यूपी के अलीगढ़ और हाथरस में इस तकनीक का खूब इस्तेमाल किया जाता है.
कोल्ड स्टोरेज मालिक डॉ. मनोज सिंह का कहना है कि हमारे देश में आलू को कई महीनों तक रखकर खाया जाता है. इसके लिए आलू को 8 महीने के लम्बे वक्त तक कोल्ड स्टोरेज में रखना होता है. अगर आलू को मिठास से बचाना है तो उसे कोल्ड स्टोरेज में बने स्पेशल चैंबर में रखना होता है. इन खास चैंबर में गैस का रेश्यू और तापमान का मैनेजमेंट अलग होता है.
इस चैंबर के रेट भी ज्यादा होते हैं. यही वजह है कि जब देशभर में आलू सस्ता होता है तो दिल्ली-एनसीआर में महंगा होता है. क्योंकि अलीगढ़ के सासनी और हाथरस में आलू कोल्ड स्टोरेज के खास चैंबर में रखा जाता है. इसीलिए फरवरी से अक्टूबर तक दिल्ली-एनसीआर अलीगढ़-हाथरस का फीका आलू खाती है.
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आलू किसान और एक्सपोर्टर विनोद ने किसान तक को बताया कि एक लम्बे वक्त तक कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने के चलते उसके अंदर मिठास आ जाती है. जितने ज्यादा वक्त तक आलू कोल्ड में रहेगा उतनी उसके अंदर मिठास आएगी. यही वजह है कि जब कोल्ड स्टोरेज से आलू खत्म होने के कगार पर होता है तो उसके अंदर बहुत ज्यादा मिठास आ जाती है.
हालांकि यह मिठास कोई एक-दो दिन में पैदा नहीं होती है. कोल्ड स्टोरेज में रखा आलू धीरे-धीरे मीठा होने लगता है. जैसे आगरा का आलू अक्टूबर-नवंबर तक कोल्ड स्टोरेज में रहता है. इस वक्त के सप्लाई हुए आलू में बहुत ज्यादा मिठास आ जाती है. इसके चलते आलू के दाम भी गिर जाते हैं. ऐसे में आलू किसान जल्द से जल्द ऐसे आलू को खत्म करता है.
सेंट्रल पोटेटो रिसर्च सेंटर, पटना के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. शिव प्रताप सिंह ने इस बारे में बताया कि जब हम आलू को कोल्ड स्टोरेज में 3 से 4 डिग्री तापमान पर रखते हैं तो उसमे मौजूद स्टार्च शुगर में बदलने लगता है. लेकिन जब हम तापमान 10 से 12 डीग्री तक रखते हैं तो आलू की प्राकृतिक अवस्था बरकरार रहती है. इस तापमान पर आलू जमे न इसके लिए सीआईपीसी केमिकल का छिड़काव किया जाता है.
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अक्टूबर-नवंबर से पंजाब, हल्द्वानी, मुरादाबाद, चंदौसी, कन्नौज और फर्रुखाबाद का आलू बाजार में आ जाता है. यह आलू खुदाई के दौरान सीधे खेतों से मंडियों को सप्लाई होता है. यहां ज्यादा आलू नहीं होता है तो कोल्ड स्टोरेज में भी बहुत ही कम वक्त के लिए जाता है. इस थोड़े से वक्त में भी यहां का आलू अपनी प्रकृतिक अवस्था में ही बना रहता है.
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