हम आज ऐसे अनाज की बात कर रहे हैं जो आम अनाज से थोड़ा मोटा होता है. इसका मोटा रूप बहुत गुण भरा होता है. मोटे अनाज के गुणों को फिर से जानने-समझने और जीवन में शामिल करने का समय आ गया है. इसे हम ही नहीं, दुनिया मान रही है. मोटे अनाज गुणों की खान हैं. मोटे अनाजों को घास की तरह उगने वाला अनाज भी कहा जाता है, क्योंकि ये तेज़ी से बढ़ जाते हैं. इनके लिए बहुत अधिक संसाधनों की भी ज़रूरत नहीं होती है. इसी में एक अनाज है कुटकी. कुटकी एक बाजरे का प्रकार है जो भारत की मूलभूत फसलों में से एक है.
यह एक बहुत महत्वपूर्ण फसल है जो भोजन के लिए उगाई जाती है और अपने उच्च पोषण के लिए जानी जाती है. यह भारत के कई हिस्सों में मुख्य भोजन है और यह दुनिया की सबसे पुरानी खेती वाले अनाजों में से एक है.
कुटकी की खेती भारत के पर्यावरण की परिस्थिति के अनुसार ज्यादा अनुकूल होती है. ये प्रकृति का साथी है. इसकी पैदावार में धान या गेहूं के मुकाबले कम पानी की आवश्यकता होती है. जबकि कुटकी कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है. कुटकी पौधों से छोटे-छोटे दानों के रूप में मिलती है. वहीं कुटकी की फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है.
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छोटे बाजरे यानी कुटकी को खाने में अलग-अलग तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे कि इसे थोड़ा भीगा खा सकते हैं. खिचड़ी, दलिया, पोहा, रोटी, खीर और लड्डू के साथ ही कई अन्य रेसिपी में इसका उपयोग किया जाता है. लोग इसे अपने आहार में शामिल कर सकते हैं क्योंकि यह वजन कम करने में बहुत मददगार होती है.
कुटकी पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट शामिल होते हैं. इसके अलावा, यह ग्लूटेन-फ्री होती है, जिससे इसे वे लोग भी खा सकते हैं जो ग्लूटेन के लिए एलर्जिक होते हैं. इसके साथ ही, इसकी खेती को बढ़ावा देने से कृषि विविधता को भी बढ़ावा मिलता है.
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