OMG! इस जीव की उल्टी से बनता है परफ्यूम, वैज्ञानिक कहते हैं इसे तैरता सोना

OMG! इस जीव की उल्टी से बनता है परफ्यूम, वैज्ञानिक कहते हैं इसे तैरता सोना

व्हेल की उल्टी कैसे पैदा होती है इसका रहस्य 19वीं सदी में खुला. विशेषज्ञों के मुताबिक, व्हेल मछली स्क्विड और कटलफिश को बड़े पैमाने पर खाती है और उनमें से ज्यादातर को पचाया नहीं जा सकता है. इसके बाद व्हेल उन मछली को उल्टी कर देती है. इस उल्टी का इस्तेमाल अलग-अलग चीजों में किया जाता है.

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OMG! इस जीव की उल्टी से बनता है परफ्यूम, वैज्ञानिक कहते हैं इसे तैरता सोनाव्हेल की उल्टी से तैयार होता है परफ्यूम!

भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में परफ्यूम का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है. लोग खुद को खुशबूदार बनाने और पसीने की बदबू को दूर करने के लिए भी परफ्यूम का इस्तेमाल करते हैं. इतना ही नहीं कई लोगों को परफ्यूम कलेक्शन का भी शौक होता है. वे अलग-अलग देशों से परफ्यूम मंगवाते हैं और उसका इस्तेमाल करते हैं. वहीं परफ्यूम कई तरह से तैयार किया जाता है. फूलों और अलग-अलग खुशबुओं का इस्तेमाल करके परफ्यूम तैयार किया जाता है. ऐसे में एक और चीज है जिसका इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में किया जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक व्हेल मछली की उल्टी का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में किया जाता है, जिसे तैरता हुआ सोना भी कहा जाता है. हाल ही में वैज्ञानिकों को मछली के पेट में सोना तैरता हुआ मिला है. जिसके बाद वैज्ञानिकों के चेहरे पर खुशी की लहर नजर आ रही है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

अटलांटिक महासागर में मिला तैरता हुआ सोना

दरअसल यह खबर अटलांटिक महासागर की है. वैज्ञानिकों को अटलांटिक महासागर में अफ्रीकी तट के पास स्थित स्पेन के कैनरी द्वीप के तट पर 4 करोड़ 46 लाख रुपये का 'तैरता हुआ सोना' मिला है. कैनरी द्वीप के तट पर एक विशालकाय व्हेल मछली का शव बहकर आ गया था. जब वैज्ञानिकों ने इस व्हेल मछली का पोस्टमॉर्टम किया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्हें आंतों के अंदर व्हेल की उल्टी मिली है जिसे 'तैरता सोना' कहा जाता है.

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जानिए क्या है ये 'तैरता सोना'?

वैज्ञानिकों ने कहा, 'जब मैंने इसे बाहर निकाला तो यह 9.5 किलो वजनी पत्थर जैसा था. उस समय समुद्र की लहरें व्हेल को धो रही थीं. जब मैं समुद्र तट से लौट रहा था तो हर कोई मुझे देख रहा था लेकिन किसी को नहीं पता था कि मेरे हाथ में क्या है. दरअसल ये व्हेल की उल्टी थी. इसकी दुर्लभता के कारण, इसे अक्सर तैरता हुआ सोना कहा जाता है. इसका उपयोग सदियों से इत्र बनाने में किया जाता रहा है. ऐसा कहा जाता है कि यह तैरता हुआ सोना 100 स्पर्म व्हेल में से केवल 1 में ही पाया जाता है. 

कैसे बनता है ये सोना

व्हेल की उल्टी कैसे पैदा होती है इसका रहस्य 19वीं सदी में खुला. विशेषज्ञों के मुताबिक, व्हेल मछली स्क्विड और कटलफिश को बड़े पैमाने पर खाती है और उनमें से ज्यादातर को पचाया नहीं जा सकता है. इसके बाद व्हेल उन मछली को उल्टी कर देती है. हालांकि, इसके बाद भी व्हेल के अंदर कुछ हिस्सा सालों तक पड़ा रहता है. इसी से एम्बरग्रीस बनाया जाता है. यह एक ठोस, मोमी, ज्वलनशील पदार्थ है जिसका रंग हल्का भूरा या काला होता है. यह कई बार बाहर भी निकलता है और समुद्र में तैरता हुआ पाया जाता है.

व्हेल की उल्टी से बनाया जाता है परफ्यूम 

ताजा एम्बरग्रीस से मल जैसी गंध आती है, लेकिन फिर धीरे-धीरे वह मिट्टी जैसा होने लगता है. इसकी मदद से परफ्यूम भी बनाया जाता है जिसकी महक लंबे समय तक बनी रहती है. इसी वजह से महंगे ब्रांड इसका इस्तेमाल करते हैं और भारी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं. इसी वजह से कई बार शिकारी व्हेल का शिकार भी कर लेते हैं. वैज्ञानिक उल्टी की बिक्री से प्राप्त आय को ला पाल्मा ज्वालामुखी के पीड़ितों को दान करेंगे.

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