
दुनिया भर में दूध से बने उत्पादों की मांग पूरे साल रहती है. वहीं देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के बाद पशुपालन को आय का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. सरकार भी दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए डेयरी फर्मिंग करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. वहीं, डेयरी फार्मिंग करने वाले किसान उन नस्लों का चुनाव करते हैं, जिनसे अधिक दूध प्राप्त किया जा सके. अगर आप भी उन्हीं किसानों में से एक हैं और गाय पालन करने की सोच रहे हैं, तो गिर गाय का पालन कर सकते हैं. गिर गाय, गाय की एक ऐसी नस्ल है जो रोजाना औसतन 12-20 लीटर तक दूध देती है. वहीं गिर गाय, भारतीय गायों में सबसे बड़ी होती है जो औसतन 5-6 फुट ऊंची होती है. इसका औसत वजन लगभग 400-500 किलोग्राम तक होता है.
इसके अलावा, गिर गाय की स्वर्ण कपिला और देवमणी नस्ल सबसे अच्छी नस्लें मानी जाती हैं. वहीं, स्वर्ण कपिला प्रतिदिन औसतन 20 लीटर दूध तक देती है और इसके दूध में फैट सबसे अधिक 7 प्रतिशत पाया जाता है. ऐसे में आइए गिर गाय के बारे में विस्तार से जानते हैं-
गाय की यह देशी नस्ल ज्यादातर गुजरात राज्य में पाई जाती है. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में भी पायी जाती है. इस गाय को क्षेत्रीय भाषाओं में कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे- देसण, गुजराती, सूरती, काठियावाड़ी और सोरठी आदि.
गिर गाय गहरे लाल-भूरे और सफेद चमकदार रंग की होती है. इसके कान लंबे होते हैं. माथे में एक उभार होता है. वहीं, सींग पीछे की तरफ मुड़े होते हैं. गिर गाय का आकार मध्यम से लेकर बड़ा होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता सही होने के कारण गिर गाय जल्दी बीमार नहीं पड़ती है.
किसी भी गाय की कीमत आमतौर पर उम्र, नस्ल और दूध उत्पादन क्षमता के आधार पर किया जाता है. वहीं गिर गाय की कीमत भारतीय बाजारों के अनुसार 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक होती है.
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अगर बात करें गिर नस्ल के गाय की दूध की कीमत की तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके दूध की कीमत बड़े शहरों में 90 रुपए से लेकर 120 रुपए प्रति लीटर है. वहीं, यदि आप इसे डेयरी, दूध विक्रेता या ग्वाले या ब्रांडेड पैकेट से खरीदते हैं, तो इसकी औसत कीमत 60 से 80 रुपए प्रति लीटर होती है. कीमत में थोड़ा उतार-चढ़ाव हो सकता है.
• गिर गाय सबसे ज्यादा दूध देती है.
• इस गाय के दूध में सोने के तत्व पाए जाते हैं.
• गिर गाय के दूध के सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है.
• यह मध्यम से लेकर बड़े आकार में पाई जाती है.
• शरीर की त्वचा बहुत ही ढीली और लचीली होती है.
• रोग प्रतिरोध क्षमता बहुत अच्छी होती है.
• तीन साल की उम्र में पहली बार बछड़ा देती है.
• थन का आकार बड़ा होता है.
• गिर गाय कई तरह के जलवायु में आसानी से रह सकती है.
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• गाभिन पशुओं की देखभाल: गाभिन पशुओं का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए. अच्छा प्रबंधन करने से अच्छे बछड़े होते हैं और दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है.
• बछड़ों की देखभाल: जन्म के तुरंत बाद नाक या मुंह के आस पास लगे चिपचिपे पदार्थ को साफ कर देना चाहिए.
• बछड़े को सिफारिश किए गए टीके लगवाएं: जन्म के बाद कटड़े/बछड़े को पशु चिकित्सक के सलाह पर 6 महीने के हो जाने पर पहला टीका ब्रूसीलोसिस का लगवाएं. फिर एक महीने बाद आप मुंह-खुर का टीका लगवाएं और गलघोटू का भी टीका लगवाएं. एक महीने के बाद लंगड़े बुखार का टीका लगवाएं. वहीं, कट्डे/बछड़े के एक महीने से पहले सींग नहीं दागें.
• शेड की आवश्यकता: पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है. शेड बनवाने के दौरान इस बात पर विशेष ध्यान दें कि चुने हुए शेड में साफ हवा और पानी की सुविधा हो. इसके अलावा पशुओं की संख्या के अनुसार जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें और बैठ सकें.
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