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पानी का दुश्मन मानी जाती है ये फसल! जानें एक किलो धान उगाने में कितना खर्च होता है पानी

पानी का दुश्मन मानी जाती है ये फसल! जानें एक किलो धान उगाने में कितना खर्च होता है पानी

भारत की बात करें तो धान की खेती सबसे अधिक हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में की जाती है. जिस वजह से दिन प्रति दिन यहां का जलस्तर कम होता जा रहा है. असल में एक किलो धान की खेती करने में किसानों को लगभग 2500 से 3000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है.

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पानी की दुश्मन है धान की खेती! पानी की दुश्मन है धान की खेती!

भारत की गिनती कृषि प्रधान देशों में की जाती है. मौसम के आधार पर यहां की कृषि व्यवस्था टिकी हुई है. जिसे देखते हुए किसान खेती-बाड़ी का काम करते आ रहे हैं. खेती की बात की जाए तो इसमें पानी की आवश्यकता सबसे अधिक है. खास कर अगर आप धान की खेती कर रहे हैं तो पानी सबसे जरूरी है. ऐसे में घटते जलस्तर में धान की खेती करना किसी चुनौती से कम नहीं है. किसानों ने इस परेशानी से बचने के लिए धान की जगह अन्य फसलों को उगाना शुरू कर दिया है. आपको बता दें धान को पानी का दुश्मन भी कहा जाता है. जिस वजह से धान की खेती से हजारों किसान अब पीछे हटने लगे हैं.आइए जानते हैं क‍ि एक क‍िलो धान उगाने में क‍ितना लीटर पानी खर्च होता है. 

1 किलो धान में 3000 लीटर पानी की आवश्यकता

भारत की बात करें तो धान की खेती सबसे अधिक हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में की जाती है. जिस वजह से दिन प्रति दिन यहां का जलस्तर कम होता जा रहा है. इसके मद्देनजर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने एक कार्यक्रम में धान की खेती पर खर्च होने पर पानी पर बात कही थी. उन्होंने कहा था क‍ि एक किलो धान कि खेती करने में किसानों को लगभग 2500 से 3000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में जलस्तर को बचाए रखने के लिए हरियाणा सरकार उन किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दे रही है, जो अब धान की खेती से पीछे हटते नजर आ रहे हैं.

एक क‍िलो धान से न‍िकलता है 600 ग्राम चावल 

अगर देखा जाए तो एक किलो धान से लगभग 600 ग्राम चावल मिलता है. वहीं एक किलो धान को उगाने में लगभग 3000 लीटर पानी की जरूरत होती है. इस वजह से धान की खेती जहां सबसे अधिक की जाती है, वे क्षेत्र अब धीरे-धीरे डार्क जोन में जाते नजर आ रहे हैं, जो अपने आप में एक चिंता का विषय बन चुका है. हालांकि इससे निपटने के लिए सरकार और कृषि वैज्ञानिक तेजी से काम करते नजर आ रहे हैं.

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भारत में धान की खेती का यात्रा

भारत में धान की खेती लगभग 1500-800 ईसा पूर्व से होती आ रही है. हिन्दू संस्कृति से जुड़े यजुर्वेद में भी धान का उल्लेख मिला है. इतिहासकारों की माने तो बर्मा, थाइलैण्ड, लाओस, वियतनाम और दक्षिण चीन के रास्तें उत्तर भारत में पूर्वी हिमालय की छोटी पहाड़ियों पर चावल की खेती की जाती थी। यहां पर पानी का श्रोत अधिक था जिस वजह से धान की खेती आसानी से फलती-फूलती थी. देखते-देखते भारत सफेद चावल के उत्पादन में विश्व के अग्रणी उत्पादकों में से एक बन गया.

हालांक‍ि अब स्थिति यह है कि भारत चावल की खेती से पीछे हटता नजर आ रहा है. मुख्य कारण पानी की कमी को बताया जा रहा है. हालांकि वैज्ञानिक और विकसित तकनीकों की मदद से अब किसान कम पानी में भी चावल की खेती करने लगे हैं, लेकिन ऐसे किसानों की संख्या काफी कम है.चावल भारत की एक महत्वपूर्ण फसल है और देश के पूर्वी और दक्षिणी भाग की जनसंख्या के भोजन का एक मुख्य पदार्थ है. ऐसे में इसकी खेती ना करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. लेकिन सवाल यह है की इस जलस्तर में इसकी खेती क्या आने वाले कल के लिए जरूरी है?