Onion Export: प्याज एक्सपोर्ट में भारी ग‍िरावट, पाक‍िस्तान ने कब्जा ल‍िया बाजार...क‍िसानों पर क्या होगा असर?

Onion Export: प्याज एक्सपोर्ट में भारी ग‍िरावट, पाक‍िस्तान ने कब्जा ल‍िया बाजार...क‍िसानों पर क्या होगा असर?

Onion Export Decline: भारत का प्याज निर्यात बीते दो वर्षों में तेजी से घटा है, जिससे किसानों की कमाई पर असर पड़ा है. भारत की निर्यात नीति के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में यहां का प्‍याज प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा है. जानिए आंकड़े क्‍या कहते हैं...

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प्याज एक्सपोर्ट में भारी ग‍िरावट, पाक‍िस्तान ने कब्जा ल‍िया बाजार...क‍िसानों पर क्या होगा असर?भारत के प्‍याज निर्यात को बड़ा झटका

देशभर के किसान इस साल की शुरुआत से ही कम कीमतों को लेकर परेशान हैं. इसमें एक बड़ी वजह निर्यात में गिरावट भारी होना भी शामिल है. साल 2022-23 में जहां भारत ने र‍िकॉर्ड 25.25 लाख मीट्र‍िक टन प्याज का एक्सपोर्ट क‍िया था, लेक‍िन 2024-25 में यह एक्‍सपोर्ट घटकर महज 11.47 लाख मीट्र‍िक टन ही रह गया है. भारत का प्‍याज निर्यात गिरने के पीछे केंद्र की अस्‍थि‍र निर्यात पॉलिसी एक बड़ी वजह है, जिसके चलते भारतीय प्‍याज पसंद करने वाले देश भी अब यहां के निर्यातकों से प्‍याज खरीदने से कतरा रहे हैं. इस ट्रेंड की वजह से आने वाले समय में प्‍याज किसानों पर क्‍या असर पड़ेगा और वे आगे क्‍या रुख अपना सकते हैं जानिए...

अस्‍थि‍र नीति से बिदक रहे खरीदार देश

भारत सरकार घरेलू कीमतों को कंट्रोल करने के लिए कभी निर्यात पर प्रतिबंध लगा देती है तो कभी प्‍याज के निर्यात पर एक्‍सपोर्ट ड्यूटी तो कभी (MEP- मिनिमम एक्‍सपोर्ट प्राइस) लगा देती है. इसकी वजह से प्‍याज खरीदने वाले देशों की मांग प्रभाव‍ित होती है और  एक्‍सपोर्ट ड्यूटी और MEP जैसे फैसलों से उन्‍हें भारतीय प्‍याज महंगा पड़ता है, जि‍से खरीदार अपने लिए नुकसानदेह मानते हैं.

किसान और व्‍यापार संगठन सरकार से लगातार इस बारे में सही और स्थि‍र नीति लागू करने की मांग करते आए हैं, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस काम नहीं हुआ है. अगर निर्यात पॉलिसी स्थिर होती है तो बहुत संभव है कि  व‍िदेशी ग्राहक बिदकेंगे नहीं और प्रभावी रूप से निर्यात होता रहेगा. वहीं, इस बार जब सरकार ने एक्‍सपोर्ट ड्यूटी हटाई तो किसानों और व्‍यापारियों ने इसे देरी से लिया गया फैसला बताया. एक्‍सपोर्टर्स ने कहा कि इससे उनके काफी ग्राहक टूटकर अन्‍य देशों से प्‍याज खरीदने लगे हैं.

Onion Export Decline

पाकिस्‍तान, चीन कब्‍जा रहे भारत के ग्राहक

भारत की निर्यात नीति के चलते प्‍याज निर्यात में गिरावट जारी है, जिसका फायदा उठाते हुए पाकिस्‍तान, चीन और अन्‍य कुछ देश सस्‍ती दरों पर ‘भारतीय ग्राहक देशों’ को प्‍याज उपलब्‍ध कराकर बाजार छीन रहे हैं. इसमें एक बड़ी वजह यह भी है कि पाकिस्‍तान में प्‍याज का अच्‍छा उत्‍पादन हुआ है और क्‍वालिटी भी बेहतर हुई है, जिसकी वजह से यह भारतीय प्‍याज को टक्‍कर दे रहे हैं. इसके अलावा, इस बार म्‍यांमार भी भारत के लिए नई चुनौती लेकर आया है, क्‍योंकि इसने भी गुलाबी प्‍याज का उत्‍पादन और एक्‍सपोर्ट शुरू कर दिया, जिससे भारत के गुलाबी प्‍याज की कीमतें गिर गईं.

इतना घट गया भारत का निर्यात

डीजीसीआईएस (DGCIS) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022-23 में जहां देश से कुल 25.25 लाख मीट्रिक टन प्‍याज निर्यात हुआ था, वहीं 2023-24 में यह घटकर 17.17 लाख टन और 2024-25 में यह घटकर आधे से भी कम रह गया. यह गिरावट न सिर्फ वॉल्यूम में बल्कि राजस्व में भी साफ नजर आ रही है. साल 2022-23 में प्‍याज निर्यात से 4,522.77 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी. वहीं 2023-24 में यह घटकर 3,922.79 करोड़ रुपये और 2024-25 में 3,832.17 करोड़ रुपये के प्‍याज विदेशों में बिके थे यानी दो साल में लगभग 700 करोड़ रुपये की गिरावट हुई है.

घरेलू बाजार में भी कीमतें कम

निर्यात कम होने का सीधा असर किसानों की आय पर पड़ रहा है, क्‍योंकि उन्‍हें पहले से ही घरेलू बाजार में अच्‍छी कीमतें नहीं मिल रही हैं. वहीं, अब निर्यात घटने से भी झटका लगा है. साथ ही जो निर्यात हो रहा है, वहां भी भारतीय प्‍याज अन्‍य देशों के मुकाबले कीमतों और क्‍वालिटी में नहीं टिक पा रहा है.

इस सीजन घटेगा प्‍याज का रकबा!

प्‍याज की फसल वैसे तो मुख्‍य तौर पर दो सीजनों में होती है, लेकिन सबसे ज्‍यादा उत्‍पादन रबी सीजन की फसल से आता है. पिछले साल ज्‍यादा बुवाई के कारण इस बार बंपर उत्‍पादन हुआ और आवक बढ़ने से मंडी में उपज के दाम गिर गए. वहीं, निर्यात से भी किसानों को राहत नहीं मिली. सामान्‍य तौर पर किसान किसी साल प्‍याज की कीमतें गिरने पर अलग-अलग तरह से व्‍यवहार करते हैं.

जैसे- कई किसान अगले सीजन में खेती का रकबा कम कर देते हैं तो वहीं जोखिम उठाने में सक्षम किसान अच्‍छे दाम की उम्‍मीद में पहले की तरह उतने ही रकबे में बुवाई का दांव लगाते हैं. इसके अलावा कुछ किसान जो जोखिम नहीं उठा सकते वे अन्‍य फसलों का रुख करते हैं. ऐसे में पुराने ट्रेंड को देखे तो पिछले साल के मुकाबले इस साल रकबे में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है.

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