India-US Trade Deal: 'अमेरिका से डील में कृषि हितों को नजरअंदाज न करे सरकार', SEA ने जताई चिंता

India-US Trade Deal: 'अमेरिका से डील में कृषि हितों को नजरअंदाज न करे सरकार', SEA ने जताई चिंता

SEA ने सरकार को आगाह किया है कि अमेरिका से ट्रेड डील में कृषि हितों की अनदेखी न हो. GM सोयाबीन के आयात से घरेलू बाजार बिगड़ सकता है और भारतीय किसानों को नुकसान होगा. SEA संतुलित व्यापार नीति की मांग कर रहा है.

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'अमेरिका से डील में कृषि हितों को नजरअंदाज न करे सरकार', SEA ने जताई चिंताइंडिया यूएस ट्रेड डील (फाइल फोटो)

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) का मामला अटका हुआ है. वहीं, इस ट्रेड डील को लेकर देश का तिलहन उद्योग चिंतित है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने केंद्र सरकार के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि वह उदार व्यापारिक लाभों की होड़ में देश के कृषि हितों को अनदेखा न करें. SEA के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने अपने मासिक पत्र में कहा है कि खाद्य तेल और तिलहन क्षेत्र इस समय एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है. अगर अमेरिका को सोयाबीन और मक्का बेचने पर टैरिफ में छूट दी गई तो यह भारत की घरेलू तिलहन व्यवस्था, खासकर सोयाबीन वैल्यू चेन के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है.

अस्‍थाना ने कहा कि भारत के किसान अब भी नॉन-जीएमओ सोयाबीन की खेती करते हैं. ऐसे में अगर जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) सोयाबीन के आयात की अनुमति दी जाती है तो घरेलू बाजार का संतुलन बिगड़ सकता है और भारतीय सोया मील (खली- पशु आहार) अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं रह पाएगा. एसईए एक संतुलित दृष्टिकोण का समर्थन करता है, जो निष्पक्ष व्यापार को प्रोत्साहित करता है, लेकिन कमज़ोर कृषि क्षेत्र की रक्षा करता है.

खरीफ में तिलहन बुवाई का रुझान

SEA के अनुसार, इस खरीफ सीजन में तिलहन की बोवाई लगभग 156.76 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो पिछले साल के 162.80 लाख हेक्टेयर के मुकाबले हल्की गिरावट है.

  • मूंगफली की खेती में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसका श्रेय बेहतर दाम और घरेलू मांग को जाता है.
  • वहीं, सोयाबीन का रकबा 6 फीसदी घटा है, जो किसानों की बदलती प्राथमिकताओं और मौसम की अनिश्चितता का संकेत है.

जैव ईंधन से बढ़ा खाद्य तेल का संकट

  • ग्लोबल बायोफ्यूल ट्रेंड भी भारत के खाद्य तेल क्षेत्र के लिए नई मुसीबत बनकर उभर रहा है.
  • इंडोनेशिया की B50 नीति, जिसमें डीजल में 50 प्रतिशत पाम ऑयल मिलाया जा रहा है.
  • इसके अलावा अमेरिका में सोयाबीन तेल को रिन्यूएबल फ्यूल में बदलने की बढ़ती प्रवृत्ति ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की उपलब्धता को घटा दिया है.

इसका सीधा असर भारत पर पड़ रहा है, जो अपनी खपत का बड़ा हिस्सा आयात से पूरा करता है. जून से जुलाई के बीच क्रूड पाम ऑयल की कीमत में तेजी आई है, जबकि देश में उपभोक्ता मांग लगातार बढ़ रही है. अस्‍थाना ने कहा कि SEA सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रहा है, ताकि देश का खाद्य तेल क्षेत्र आत्मनिर्भरता, पोषण सुरक्षा और बाजार स्थिरता के रास्ते पर बना रह सके.

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