बिहार कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित, नियुक्तियों में पारदर्शिता पर जोर

बिहार कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित, नियुक्तियों में पारदर्शिता पर जोर

बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया है, जिससे कृषि शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी, निष्पक्ष और गुणवत्तापूर्ण बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है.

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बिहार कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित, नियुक्तियों में पारदर्शिता पर जोरबिहार के कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा

राज्य की कृषि शिक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी, विवादमुक्त और गुणवत्तापूर्ण बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए बिहार सरकार ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 में संशोधन का प्रस्ताव किया है. बिहार विधानसभा सत्र के दौरान उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इस संशोधन का औपचारिक ऐलान किया. उन्होंने कहा कि यह प्रस्तावित संशोधन राज्य की कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार प्रणाली को मजबूती देने में मील का पत्थर साबित होगा.

कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि अधिनियम के अध्याय-2 की धारा 7 की उपधारा 11 और 12 में यह संशोधन किया जाएगा. इसका मूल उद्देश्य विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों की प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष, पारदर्शी और योग्यता आधारित बनाना है, ताकि योग्य और प्रतिभाशाली युवाओं को न्याय मिल सके और किसी भी प्रकार की अनियमितता की संभावना को समाप्त किया जा सके.

नियुक्ति प्रक्रिया में होगा बड़ा बदलाव

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि संशोधन के तहत अब कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षण, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा से संबंधित पदों का सृजन राज्य सरकार की पूर्व अनुमति से किया जाएगा. इन पदों पर नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के माध्यम से कराई जाएगी. इससे नियुक्तियों में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और योग्य अभ्यर्थियों को बिना किसी भेदभाव के अवसर मिलेंगे.

विजय सिन्हा ने कहा, “यह संशोधन किसी भी प्रकार की नियुक्ति में अनियमितता पर करारा प्रहार है और यह युवाओं की प्रतिभा और परिश्रम को संरक्षित करेगा.” उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का मकसद सिर्फ नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना नहीं है, बल्कि इसे गति देने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की भी ठोस व्यवस्था करना है.

अन्य पदों पर भी आयोगों के जरिए नियुक्ति

उप मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि प्रशासनिक, तकनीकी, गैर-तकनीकी और अराजपत्रित पदों का सृजन भी राज्य सरकार की पूर्वानुमति से ही किया जाएगा. इन पदों की नियुक्ति के लिए संबंधित आयोगों की मदद ली जाएगी. जैसे तकनीकी पदों के लिए बिहार तकनीकी सेवा आयोग, अराजपत्रित पदों के लिए बिहार कर्मचारी चयन आयोग को जिम्मेदारी दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए आयोग को प्रस्ताव भेजने से पहले कृषि विभाग से पूर्वानुमति प्राप्त करना आवश्यक होगा. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पूरी प्रक्रिया विभागीय निगरानी और मार्गदर्शन के तहत संचालित हो.

छात्रों और शोधकर्ताओं में विश्वास का संचार

विजय कुमार सिन्हा ने विश्वास जताया कि इस संशोधन के लागू होने से न केवल कृषि विश्वविद्यालयों की संस्थागत मजबूती बढ़ेगी, बल्कि इससे छात्रों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों के बीच विश्वास भी कायम होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कृषि क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन तैयार करने और युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा, “हम युवाओं को कृषि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पर आधारित अवसर देकर बिहार के कृषि परिदृश्य में गुणात्मक बदलाव लाना चाहते हैं. यही हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विजन भी है.”

राज्य को अग्रणी बनाने की दिशा में कदम

कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने यह भी कहा कि संशोधन विधेयक के माध्यम से बिहार कृषि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में अपनी पहचान बनाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि कृषि शिक्षा प्रणाली से जुड़े सभी आयामों में गुणवत्ता, पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा का माहौल तैयार किया जाए, ताकि आने वाले वर्षों में बिहार देश का कृषि शिक्षा हब बन सके. यह संशोधन विधेयक बिहार विधानसभा में पेश किया जाएगा और पारित होने के बाद इसे लागू किया जाएगा. इसके बाद राज्य के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया और प्रशासनिक कार्य प्रणाली एक नए, सुदृढ़ और पारदर्शी ढांचे में संचालित होगी.

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