हर साल किसानों को कभी ज्यादा गर्मी, कभी कम बरसात तो कभी कम मॉनसून तो कभी सर्दी में बढ़े हुए तापमान को झेलना पड़ता है. मौसम में इतने बदलावों की वजह से किसानों की खेती पर असर पड़ता है. कभी-कभी उन्हें फसलों में जितना निवेश किया है, उतनी उपज नहीं मिल पाती है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने पिछले दस वर्षों (2014 से 2024) के दौरान कुल 2900 फसल किस्में विकसित की हैं. इनमें से 2661 किस्में ऐसी हैं जो जैविक या अजैविक तनावों को झेल सकती हैं, यानी ये सूखा, बाढ़ या गर्मी जैसे हालात में भी फसल दे सकती हैं. कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर की तरफ से इस बारे में लोकसभा में विस्तार से जानकारियां दी गई हैं.
उन्होंने सदन को बताया कि क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए चल रही राष्ट्रीय नवाचार परियोजना (NICRA) के तहत देश के 151 जलवायु-संवेदनशील जिलों के 448 गांवों में 11,835 किसानों को शामिल किया गया है. इसमें 11 फसलों की 298 जलवायु-अनुकूल किस्मों का प्रदर्शन किया गया. इनमें से कई किस्में सूखा, बाढ़ या ज्यादा गर्मी झेलने में सक्षम हैं. इस योजना में 72 सूखा प्रभावित जिलों के करीब 5278 आदिवासी और छोटे किसानों को सहनशील किस्मों के बीज भी दिए गए.
किसानों को अच्छे और पर्याप्त बीज देने के लिए भारत सरकार 2014-15 से बीज और रोपण सामग्री पर उप-मिशन (SMSP) चला रही थी, जिसे अब 2023-24 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और पोषण मिशन (NFSM) में शामिल कर लिया गया है. साल 2024-25 में इस बीज योजना के लिए कुल 270.90 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिनमें से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 206.86 करोड़ रुपये जारी किए गए. इसमें से 141.46 करोड़ रुपये बीज ग्राम कार्यक्रम के तहत दिए गए.
एनआईसीआरए योजना के तहत गोद लिए गए गांवों में बीजों की पर्याप्त उपलब्धता के लिए ग्राम स्तरीय बीज बैंक और सामुदायिक नर्सरी बनाई जा रही हैं. इन गांवों में धान, गेहूं, सोयाबीन, सरसों, चना, ज्वार और फॉक्सटेल बाजरा जैसी फसलों की सूखा और बाढ़ सहने वाली किस्मों का प्रदर्शन किया गया. इसके अलावा, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) के जरिए किसानों को अच्छे बीजों की जानकारी और आधुनिक खेती के तरीकों पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.
वहीं दूसरी ओर कृषि पर मौसम के बुरे असर को कम करने के लिए सरकार ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (GKMS) योजना को सरकार की तरफ से चलाया जा रहा है. इस योजना के तहत मौसम विभाग (IMD) जिले और ब्लॉक स्तर पर अगले 5 दिनों का मध्यम अवधि वाला मौसम पूर्वानुमान तैयार करता है. IMD इन पूर्वानुमानों के साथ-साथ वर्षा और अन्य मौसम से जुड़े आंकड़ों के आधार पर 130 कृषि मौसम केंद्रों के जरिए किसानों के लिए सलाह बनाता है. ये सलाह अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में होती हैं ताकि किसान अपनी भाषा में समझ सकें.
किसान अपने इलाके की मौसम संबंधी जानकारी और सुझाव 'मेघदूत' मोबाइल ऐप से भी ले सकते हैं. यह ऐप पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है और इसमें अलर्ट और मौसम से जुड़ी सलाह 13 भाषाओं में मिलती हैं. इसके अलावा, किसान ये जानकारी IMD के 'मौसम' मोबाइल ऐप से भी पा सकते हैं. पंचायत स्तर पर भी किसानों को मौसम की जानकारी देने के लिए कई डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं, जैसे:
इन सभी माध्यमों से किसान समय पर मौसम की जानकारी पाकर अपने खेती संबंधी फैसले बेहतर तरीके से ले सकते हैं.
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